न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): आजकल गूगल प्लेस्टोर और इंटरनेट पर कई वेबसाइट्स सहित ऐप्स की भरमार है, जो Instant Loan देने का दावा करती है। एक बाद जब आम आदमी इनके झांसे में आता है तो, वो फंसता चला जाता है। फिलहाल इन वेबसाइट्स और ऐप्स पर किसी सरकारी नियामकों (Government regulators) की लगाम नहीं है। ऐसे में ये मनमाने ढंग से स्कीम बनाकर लोगों को फंसाते हुए बेलगाम तरीके से ब्याज वसूली करती है। मूल और ब्याज़ ना चुकाने वाले लोगों के साथ मानसिक उत्पीड़न और धमकी भी दी जाती है।
हाल ही में कुछ ऐसा देखने को मिला उत्तराखंड नैनीताल के बेलुवाखान ज्योलीकोट निवासी जितेंद्र कुमार के साथ। जितेंद्र कुमार उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम (Uttarakhand State Transport Corporation) में परिचालक के पद पर काम करते है। लॉकडाइन के दौरान उनकी माली हालत काफी नाज़ुक हो गयी। गुजर-बसर के लिए रिश्ते-नातेदारों से उधार लेकर कुछ दिन काम चलाया। इस दौरान उन्होनें एक एप की मदद से पांच हजार रूपये का इंस्टेंट लोन लिया। जो कि उन्हें भारी पड़ गया। लोन की राशि का ब्याज़ फिलहाल तीन लाख रूपये बन गया है। जिसमें से वो 60 हज़ार रूपये लोन देने वाली कंपनी को दे चुके है।
जितेन्द्र ने तकरीबन छह महीने पर फेसबुक लोन देने वाली ऐप का एड देखा था। जिसके जरिये उसने लोन लिया। इन लोन को चुकाने के लिए उसने दूसरी ऐप से लोन लिया। इसी तरह सिलसिलेवार ढंग से एप डाउनलोड कर लोन लेने और देने के बीच उन पर तीन लाख की वित्तीय देनदारी (Financial liability) हो गयी। जिसके कारण उन्हें 60 हजार रुपए की भरपाई अपने पास करनी पड़ी। जितेन्द्र के मुताबिक एप संचालक कंपनी लोन ना चुकाने पर उन्हें और उनके रिश्तेदारों के इंटरनेट मीडिया पर बदनाम करने की धमकी दे रही है। जिसकी शिकायत जितेन्द्र ने पुलिस से की। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर उनकी काउंसिल की और वापस भेज दिया।
जितेन्द्र इस चुंगल में लॉकडाउन के दौरान फंसे, जब उन्हें तनख्वाह नहीं मिल रही थी। वो काफी मानसिक तनाव से जूझ रहे थे। इस बीच उन्होनें फेसबुक पर इंस्टेंट लोन एप (Instant loan app) का एड देखा और ऐप डाउनलोड करके उसमें मांगी गयी सभी जानकारी भरी। जिसके बाद उन्हें पांच हजार रूपये का लोन मिल गया। जिसे उन्हें 90 दिनों के भीतर जमा करना था। कुछ दिनों के भीतर उन्हें एप संचालक कंपनी की तरफ से किश्त की भरपाई के कॉल्स आना शुरू हो गये। जिसमें उन्हें किश्त ना भरने पर भारी ब्याज़ लगाने की धमकी दी गयी।
जितेन्द्र ने एप संचालक कंपनी भारी ब्याज़ का भुगतान ना करने पाने की बेबसी ज़ाहिर की। इस पर एप संचालक कंपनी ने दूसरा इंस्टेंट लोन एप डाउनलोड कर वहां से भरपाई करने का सुझाव दिया। जिसके बाद जितेन्द्र ने एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से इसी तर्ज पर 30 से 35 ऐप डाउनलोड कर लोन लिये। इस क्रम में इंस्टेंट लोन एप संचालक कंपनियों (Instant Loan App Operator Companies) ने उनके फोन का सारा डाटा चुरा लिया। इस पूरी कवायद के बाद अब आखिर में जितेन्द्र लोन कंपनियों के भारी-भरकम ब्याज तले दबे हुए है। जो कि तीन लाख रूपये पहुँच चुका है। घर में रखे पुश्तैनी जेवरों को गिरवी रखकर उन्होनें 60 हज़ार रूपये का भुगतान कंपनियों को कर दिया है। इस बीच उन्हें लगातार इंस्टेंट लोन एप संचालक कंपनियों से फोन पर बदनामी करने की धमकियां मिलती रही। जिसके बाद अब जितेंद्र उत्तराखंड पुलिस साइबर सेल (Uttarakhand Police Cyber Cell) के पास मदद की गुहार लेकर पहुँचने की तैयारी में है।