China की हेकड़ी निकालने के लिए, US ने उतारी अपनी सबसे बेहतरीन जंगी ताकत

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): भले ही अमेरिकी निजाम बदल चुका हो लेकिन अमेरिका (US) किसी भी कीमत पर चीन (China) को कम करके आंकने की भूल नहीं कर रहा है। जो बाइडन ने सत्ता संभालते ही चीन के खिलाफ काफी आक्रमक तेवर अख्तियार कर लिए। माना जा रहा है कि बाइडन प्रशासन की नीतियां ट्रम्प प्रशासन से काफी ज्यादा सख्त होंगी। अब धीरे-धीरे इस बात के साफ संकेत मिलने लगे हैं। दक्षिणी चीन सागर में बीजिंग की नापाक हरकतों पर लगाम कसने के लिए अब पेंटागन ने पूरी तरह कमर कस कर ली है। इसीलिए अमेरिका की सबसे बेहतरीन जंगी ताकत यूएसएस निमित्ज़ को दक्षिण चीन सागर की ओर रवाना कर दिया है।

यूएसएस निमित्ज़ न्यूक्लियर पावर से संचालित होने वाला विश्व का सबसे अत्याधुनिक और खतरनाक युद्धपोत है। इसकी तैनाती मध्य-पूर्व अमेरिकी सेंट्रल कमांड से हटाकर अब इंडो-पैसिफिक कमांड (Indo-pacific command) में करने का फैसला किया गया है। जहां से ये दक्षिण चीन सागर और सबसे व्यस्त रहनी अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा की कड़ी निगरानी करेगा। इसे उतारने का सबसे बड़ा मकसद चीन के नीति-नियंताओं पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना भी है। माना जा रहा है कि इससे सामरिक शक्ति संतुलन के स्थायी हालात भी कायम हो सकते है।

मध्य पूर्व एशिया में ईरान के साथ तनातनी के चलते यूएसएस निमित्ज (USS Nimitz) की तैनाती की गई थी। मौजूदा हालातों में ईरान और अमेरिकी सामरिक तनाव कुछ हद तक कम हुआ है। जिसके बाद पेंटागन ने इसे दक्षिणी चीन सागर की ओर रवाना होने के फरमान जारी कर दिये। इस कवायद के कई मतलब निकलते दिख रहे है। जैसे कि राष्ट्रपति जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रंप से कहीं ज्यादा चीन पर आक्रमक रहने वाले हैं। अमेरिका ईरान के प्रति उदारवादी रवैया बरतेगा। आने वाले वक़्त में चीन और अमेरिका के बीच शीतयुद्ध के हालात चरम पर (Cold war conditions on peak) होगें।

राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन अभी तक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से किसी भी तरह की औपचारिक बात नहीं कर पाए हैं। चीन के खिलाफ किसी भी तरह का मोर्चा खोलने से पहले अमेरिकी विदेश नीतियां अपने सहयोगियों को पूरी तरह भरोसे में लेना चाहती है। एशिया-पैसिफिक में चीन का 36 देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। ऐसे में दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका अपनी सामरिक गतिविधियां बढ़ा कर इन देशों को परोक्ष रूप से अपना समर्थन दे सकता है।

जो बाइडेन ने ताइवान के मसले पर ठोस अमेरिकी प्रतिबद्धता जाहिर की। जिसके बाद दोनों देशों के बीच नए सिरे से तनाव बढ़ गया। बीजिंग इस आस में बैठा था कि ट्रंप की सत्ता बदलते ही नए राष्ट्रपति से चीन के संबंध बेहतर होंगे जबकि जमीनी हकीकत इससे काफी कोसों दूर है। बीते महीने अमेरिकी विमान वाहक पोत यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट दक्षिणी चीन सागर में पहुंचा था। जिसे लेकर चीन काफी परेशान दिखा। यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट (USS Theodore Roosevelt) की अगुवाई में वहां यूएसएस जॉन फिन, यूएसएस बंकर हिल और यूएसएस रसेल ने अपनी धमक दिखायी थी। जिसे लेकर ड्रैगन काफी परेशान दिखा। अब तस्वीर में यूएसएस निमित्ज के आने से हालात पहले से कहीं ज़्यादा तनावपूर्ण होगें।

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