नई दिल्ली (शौर्य यादव): अब मीडिया चैनलों पर डिबेट्स में लड़ाईयां के साथ टीआरपी फर्जीवाड़ा (TRP Scam) भी होने लगा है। बीते दिन मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रिपब्लिक टीवी (Republic TV) और उसके प्रमोटर्स पर संगीन आरोप लगायें। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि रिपब्लिक टीवी टीआरपी से छेड़छाड़ कर अपनी रेटिंग बढ़ा रहा है। जिसके एवज़ वो विज्ञापनदाताओं (Advertisers) से भारी मुनाफा कमा रहा है। महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक इस खेल में इंडिया टुडे, रिपब्लिक टीवी, फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा का नाम सामने आया। फिलहाल इंडिया टुडे ग्रुप (India Today Group) के खिलाफ मामले में अहम गवाह और साक्ष्य नहीं मिले है, लेकिन कहीं ना कहीं रिपब्लिक टीवी और इंडिया टुडे के बीच तलवारें जरूर खिंच चुकी है, क्योंकि दोनों ही टीआरपी के दौड़ में एक दूसरे से आगे निकलना चाहते है।
गौरतलब है कि टीआरपी से जुड़ा सारा मसला बार्क (Broadcast Audience Research Council- BARC) देखता है। सारा खेल इसी में सेंध लगाकर किया गया। पुलिस इस बात की छानबीन कर रही है कि जिन इलाकों में TRP Measurement Meter लगा होता है उन इलाकों के लोगों को कौन पैसा देकर खास टीवी चैनल देखने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस मामले की शुरूआती जांच में पुलिस कुछ लोगों से पूछताछ कर रही है। मोटे तौर पर बार्क 44,000 घरों में चलने वाले टीवी कार्यक्रमों के डेटा और रेस्त्रां फूड चैन (Restaurant & Food Chain) में चलने वाले 1050 टीवी सैट्स के डेटा के आधार पर सभी टीवी चैनलों को हर हफ़्ते रेटिंग देती है। इसी रेटिंग का इस्तेमाल करके टीवी चैनल की मार्केटिंग टीम विज्ञापन लाती है। जिससे चैनल का राजस्व हासिल होता है।
अब मुंबई पुलिस के जांच के दायरे में रिपब्लिक टीवी के अर्णब गोस्वामी, मुख्य वित्त अधिकारी समेत उच्च प्रबंधन है। साथ ही टीआरपी का डेटा इकट्ठा करने के लिए बैरोमीटर (Barometer) लगाने वाली कंपनी हंसा (Hansa) के कर्मचारियों पर भी जांच की गाज़ गिरनी तय है। जिसके तहत हंसा के दो पूर्व कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस ने ये आशंका जतायी है कि देश के दूसरे हिस्सों में जहां बैरोमीटर लगे है उन इलाकों में भी यहीं खेल चल रहा होगा। अर्णब गोस्वामी ने मुंबई पुलिस की कार्रवाई एकतरफा बताया और जांच में दोहरे मापदंड का इस्तेमाल करने की बात कही। अर्णब गोस्वामी के मुताबिक प्राथमिकी में इंडिया टुडे का नाम भी शामिल है, लेकिन मुंबई पुलिस उतनी आक्रामकता और सख्ती से उनपर कार्रवाई नहीं कर रही है, जितनी कि रिपब्लिक पर। इसी मसले को लेकर इंडिया टुडे और रिपब्लिक में तलवारें खिंच चुकी है। अमूमन मीडिया बिरादरी (डिजीटल, इलैक्ट्रॉनिक और प्रिन्ट) के लोग एक दूसरे मीडिया संस्थानों पर सीधे आरोप लगाने से बचते है। अब ये देखने में आ रहा है कि इंडिया टुडे और रिपब्लिक एक दूसरे के खिलाफ बुलन्दी से खड़े है।