नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): फर्जी टीआरपी (TRP Scam) में अब दिलचस्प मोड़ आ गया है। TRP का काम देखने वाली कंपनी हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड (Hansa Research Group Private Limited) की ओर से जो एफआईआर दर्ज करवायी गयी है। उसमें रिपब्लिक टीवी का नाम कही नहीं है बल्कि उसमें इंडिया टुडे को नामजद किया गया है। मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए महाराष्ट्र के संयुक्त आयुक्त (अपराध) मिलिंद भरांबे के मुताबिक प्राथमिकी में भले ही इंडिया टुडे का नाम हो लेकिन जिन संदिग्धों की धरपकड़ की गयी है उन्होनें रिपब्लिक टीवी और दो मराठी चैनलों का नाम लिया है। इसलिए जांच को फिलहाल गवाही और मौजूदा सबूतों के आधार पर आगे बढ़ाया जायेगा। इस बीच अगर मामले में दूसरे अन्य टीवी चैनलों के खिलाफ सबूतों और गवाह मिलते है तो जांच की दिशा को उस ओर भी मोड़ा जा सकता है।
अभी तक मामले में मुंबई पुलिस ने दोनों मराठी चैनलों के मालिकों समेत चार लोगों को न्यायिक हिरासत में लिया है। जल्द ही मुंबई पुलिस समन जारी कर अर्णब गोस्वामी समेत रिपब्लिक चैनल के उच्च प्रबंधन (Higher management of republic channel) से जुड़े लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। शुरूआती जांच में पुलिस को पता लगा था कि हंसा एजेंसी के कर्मचारियों की मिलीभगत से इस काम को अन्ज़ाम दिया जा रहा था। इसी कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने कथित चैनलों के साथ खुफ़िया आंकड़े साझा किये थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार हिरासत में लिया गया विशाल वेद भंडारी हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड में रिलेशनशिप मैनेजर के पद पर काम कर रहा था। जांच में ये भी सामने आया है कि जिन लोगों के घरों में टीआरपी नापने वाले बैरोमीटर (TRP Measuring Barometer) लगे हुए थे, उनको कथित चैनल लगातार देखने के एवज़ में चैनल प्रबंधन की तरफ से 500 रूपये का भुगतान किया जाता था। फर्जी टीआरपी मामले की जांच के लिए एसीपी शंशाक संदभोर की अगुवाई में विशेष टीम का गठन किया गया है।
दूसरी तरफ रिपब्लिक टीवी का कहना है कि सुशांत सिंह मामले पर मुंबई पुलिस की कथित भूमिका से जुड़ी खबरें प्रसारित करने के कारण चैनल पर पुलिस द्वारा बदले की भावना से ये कार्रवाई की जा रही है। जिसके लिए अब चैनल प्रबंधन मुंबई पुलिस कमिश्नर पर अपराधिक मानहानि (Criminal defamation) का केस दर्ज करवायेगा। चैनल ने ये भी दावा किया कि BARC की रिपोर्ट में कहीं भी रिपब्लिक टीवी के बारे में कुछ भी नहीं है। ऐसे में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Mumbai Police Commissioner Parambir Singh) को अदालती कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।