नई दिल्ली (शौर्य यादव): भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में अक्सर अभिभावक (Parent) बच्चों पर ढंग से ध्यान नहीं दे पाते है। बच्चों के लिए पहला क्लास रूम घर और पहले टीचर्स पैरेन्ट्स ही होते है। माता-पिता शुरूआती दौर में बच्चे के दिलोदिमाग को जिस तरह तराशते है उसकी छाप बच्चों पर ताउम्र बनी रहती है। ऐसे में कामकाजी माता-पिता के लिए बच्चों की ग्रूमिंग (Children’s grooming) करना और उन्हें सामाजिक तौर तरीके सीखाना काफी चुनौती भरा काम होता है। आजकल देखने में आता है कि बच्चे पैरेन्ट्स का कहना नहीं सुनते है। बच्चों का पैशेन्स लेवल काफी कम होता है। बच्चों का दिनभर मोबाइल फोन में गेम खेलना कहीं ना कहीं पैरेन्ट्स को बहुत अखरता है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आये है जिनका इस्तेमाल करके आप स्मार्ट पैरेन्ट बन सकते है।
- हर बच्चा अपने आप में खास में होता है। इसे हर माता-पिता को समझना होगा। भेड़चाल के चक्कर में अपनी महत्त्तवकांक्षायें (Parental Ambitions) बच्चे पर थोपने से बचे। उसके अंदर की काबिलियत को पहनकर उसे निखारने की कोशिश करें। ऐसे में बच्चा चीज़ों को काफी तेजी और बेहतर ढंग से समझने और सीखने लगता है। हालात उस वक़्त ज्यादा बिगड़ते है जब बच्चा कुछ और करना चाहता है और माता-पिता उसे दूसरी दिशा में ज़बरन मोड़ने की कोशिश करते है। अगर आप लोगों को लगे कि बच्चा गलत दिशा में जा रहा है तो उसे संभावित नुकसान और ज़मीनी हकीकत से रूबरू करवा दे।
- बच्चों की दिनचर्या को तनावपूर्ण बनाने से बचे। इस बात को अच्छी तरह गांठ बांध ले बच्चे आनंदमयी ऊर्जा के स्रोत होते ना कि आपकी स्वार्थसिद्धि का जरिया। उन्हें हर हाल में तनाव से बचाये। अगर वो उदास और थका हुआ कर रहा है तो उसे टच थैरेपी (Touch therapy) देकर हील करें। बच्चों के गाल पर हाथ फेरना, उसकी हथेलियां थामकर दिनभर का हालचाल पूछना वाकई जादुई तरीके से उनकी थकान और उदासी दूर कर देगा। लालन-पालन में मध्यम मार्ग अपनायें मित्रता और अनुशासन (Friendship and discipline) के बीच का रास्ता अख़्तियार करें।
- ऑफिस का तनाव और थकान अपने केबिन में ही छोड़कर आये। गलती से भी ऑफिस की खीझ और तनाव से घर का माहौल खराब ना करें। जो पैरेन्ट घर का माहौल खराब करके रखते है उसका असर बच्चे की परवरिश पर सीधा पड़ता है। बच्चा खुद को इनसिक्योर महसूस करने लगता है। ऐसे ही बच्चे बड़े होकर घर में माता-पिता से ज्यादा बहस करते है। जिससे दोनों की रिश्तों में खटास पनपने लगती है।
- बच्चे की सामने तुलना करने से बचे वरना इससे उनमें हीन भावना पनपे लगती है साथ ही उनका मनोबल भी गिरता है। दूसरों की उपलब्धियों का जिक्र प्रेरणा के लिए करे ना कि तुलना के लिए। अगर आप ऐसा करने में नाकाम रहते है तो ज़िन्दगी में दौड़ने का हौंसला बच्चे में पैदा नहीं हो पायेगा।
- कोशिश करे कि आपका साथ उसे हमेशा मिलता रहे। बच्चों के सामने बेमतलब मोबाइल और सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बचें। उसे अपने साथ पार्क में घूमाने या फिर खेलाने ले जाये। अच्छी प्रेरणा देने के लिए उसे सीखाने से ज़्यादा खुद वो काम करके दिखाये जो आप उसे सीखाना चाहते है। घर के कामों में बच्चे की मदद छोटे-छोटे कामों के लिए ले ताकि उसका जुड़ाव घर और आपके प्रति और ज़्यादा मजबूत बनें।