न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर और मोदी सरकार के बीच जारी तनातनी (Modi Govt.-Twitter standoff) खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने कंपनी के प्रतिनिधियों को 18 जून को पेश होने के लिए तलब किया है।
पैनल ने मौजूदा विवादों पर अपना पक्ष रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अधिकारियों को भी बुलाया है।
कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में पैनल ट्विटर द्वारा जारी सफाई पर सुनवाई करेगा। ये पैनल ‘नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और डिजिटल स्पेस (Digital Space) में महिला सुरक्षा पर विशेष जोर देने के साथ साथ सोशल/ऑनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफॉर्म के गलत इस्तेमाल को रोकने के मामले पर आईटी मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा पेश सबूतों को भी देखेगा।
पिछले हफ्ते ट्विटर ने बयान जारी कर कहा था कि, कंपनी आईटी नियम 2021 के तहत नये दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है।
हालांकि ट्विटर पैनल के सामने पहले भी पेश हो चुका है, लेकिन नये डिजिटल मीडिया नियमों को लागू करने को लेकर केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट के बीच उपजे विवाद के बाद ये ट्विटर के आधिकारियों की पहली पेशी होगी।
आखिर Modi Govt. और Twitter के बीच क्यों हुई तनातनी
सोशल मीडिया साइट के लिये नये डिजिटल मीडिया नियमों को लागू करने को लेकर ट्विटर ने इन कानूनों की खुली आलोचना की। ट्विटर के मुताबिक ये नये कानून मुक्त और खुली सार्वजनिक बातचीत में बाधा पैदा करेगें। जिसके ज़वाब में मोदी सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारत को बदनाम करने के लिए बेबुनियादी और मनगढ़ंत इल्ज़ाम लगा रहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अभिव्यक्ति आज़ादी (Freedom Of Expression) पर शर्तें थोप रहा है।
इसके बाद केन्द्र सरकार ने ट्विटर को आईटी नियम 2021 के तहत सभी मानदंडों का पालन करने के लिये आखिरी नोटिस दिया। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने उन सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को शिकायत अधिकारी नियुक्त करने को कहा है, जिनके पास 50 लाख (पांच मिलियन) से ज़्यादा यूजर्स है।