न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): भारत लोकतान्त्रिक देश (Democratic country) है। अन्य देशों के तुलना में उदारवादी सोच (Liberal thinking) और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता हिन्दुस्तान में कहीं ज़्यादा है। स्वस्थ और संतुलित आलोचना देश को प्रगतिशील समाज (Progressive society) देती है। ऐसे में सोशल मीडिया काफी अहम भूमिका का निर्वाह करता है। जहाँ लोग काफी बेबाकी से अपनी बात रखते है। लेकिन कुछ लोग संविधान और सोशल मीडिया द्वारा दी गयी इस ताकत का गलत इस्तेमाल करते है। विवादस्पद बयान, संवेदनशील मुद्दों पर बेलगाम प्रतिक्रियायें (Irresistible responses to sensitive issues) देकर एक खास वर्ग, विशेष सोच, और खास समुदाय वाले धर्मावलंबियों को ठेस पहुँचाते है।
कुछ ऐसा ट्विटर पर देखने को मिला सागर नाम के यूजर ने ट्विट कर लिखा कि- हम सभी जानते है, भगवान शिव (Lord Shiva) विध्वंस के देवता है, तभी हम उनकी आराधना करते है। दूसरी ओर ओसामा बिन-लादेन (Osama Bin Laden) है, जिसने ज़िदा रहते काफी विध्वंस मचाया। लेकिन हम उससे नफरत करते है। ये कैसा पागलपन है।
ट्विटर यूजर ने भले ही अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी का पूरा फायदा उठाया। लेकिन वो शायद भूल गया कि आज़ादी और अधिकारों के साथ कर्तव्य और ज़वाबदेही (Duty and responsiveness) जुड़ी होती है। धर्म, आस्था और संवेदनशील मामलों पर इस तरह लापरवाह ढंग से लिखना दिखाता है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर लोग अपने बौद्धिक स्तर (intellectual level) को कहां तक गिरा रहे है।
भगवान शिव कई करोड़ हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र (Center of faith) है। ऐसे में उनकी तुलना ओसामा बिन-लादेन से करके यूजर क्या जताना चाह रहा है। ये अपने आप में बड़ा सवाल है। साथ ही अहम ये भी है कि लोग सोशल मीडिया का कितना सार्थक इस्तेमाल कर रहे है, पूरे विश्व भर में ये चर्चा का विषय है। यूजर की ओर से, ये सीधी भड़काऊ और उकसावे वाली पोस्ट (Provocative Twitter posts) है। अगर इसे प्रगतिशीलता, उदारवादी सोच और अभिव्यक्ति की आज़ादी का नाम दिया जाता है तो इससे गिरा हुआ कुछ नहीं होगा।