न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): नूपुर शर्मा विवाद को लेकर राजस्थान के उदयपुर के एक व्यस्त बाजार इलाके में हुई भीषण वारदात (Udaipur Tailor Murder) में कन्हैया लाल साहू (Kanhaiya Lal Sahu) नाम के एक दर्जी की दो मुस्लिम युवकों ने बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या के बाद से कई मुस्लिम संगठनों (Muslim organizations) ने जघन्य अपराध के खिलाफ आवाज उठायी।
मामले पर अब अजमेर दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन अली खान (Ajmer Dargah Diwan Zainul Abedin Ali Khan) ने बीते मंगलवार (28 जून 2022) को कहा कि उदयपुर में दर्जी का कत्ल “इंसानियत के खिलाफ कार्रवाई” थी और मुसलमान कभी भी इस तरह के अपराधों और ऐसे कृत्यों को बढ़ावा नहीं देंगे। खान ने आगे कहा कि इस्लाम (Islam) शांति का प्रचार करता है, हिंसा का नहीं।
उदयपुर में कन्हैया लाल साहू की निर्मम हत्या के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे, जहां दो लोगों को धारदार हथियारों से दर्जी की हत्या करते देखा जा सकता है। इस बीच अजमेर श्राइन दीवान ने कहा कि भारत के मुसलमान (Muslim) देश में तालिबानीकरण की मानसिकता (Talibanization mindset) को कभी भी सामने नहीं आने देंगे।
खान ने अपने बयान में कहा कि, “कोई भी धर्म मानवता के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा नहीं देता है। खासतौर से इस्लाम धर्म में सभी शिक्षायें शांति के फैलाने का काम करती है। इंटरनेट पर सामने आये वीडियो में अमन चैन के दुश्मनों ने एक गरीब आदमी का कत्ल कर दिया। ये गैर इस्लामी कृत्य (Non Islamic Act) है। हत्यारों को कानूनी तौर पर सजा मिलनी चाहिये”
उदयपुर में दर्जी की हत्या करने वाले लोगों की आलोचना करते हुए खान ने कहा कि आरोपी कट्टरपंथी ज़मातों का हिस्सा थे, जो कि हिंसा के रास्ते ही समाधान ढूंढते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, “मैं इस वारदात की मजबूती से मजम्मत (आलोचना) करता हूं और सरकार से हत्यारों खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की गुज़ारिश करता हूं। भारत के मुसलमान हमारी मातृभूमि में तालिबानीकरण की मानसिकता को कभी भी सामने नहीं आने देंगे।”
बता दे कि दर्जी कन्हैया लाल साहू की मंगलवार (28 जून 2022) शाम को उदयपुर के एक व्यस्त बाजार के बीच दो मुस्लिम हत्यारों ने हत्या कर दी थी, जिससे राजस्थान सरकार और सरकार के खिलाफ आक्रोश की लहर दौड़ गयी। आरोपी ने साहू की उस फेसबुक पोस्ट पर हत्या कर दी थी, जिसे उन्होंने पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा (Former BJP leader Nupur Sharma) का समर्थन किया था, जब उन्होंने पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की थी।