न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): राजनीतिक तौर पर अस्थिर महाराष्ट्र में हाल ही में नया सियासी घटनाक्रम देखने को मिला। बीआर अंबेडकर (BR Ambedkar) के पोते प्रकाश अंबेडकर (Prakash Ambedkar) की अध्यक्षता वाली वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA- Vanchit Bahujan Aghadi) ने आज (30 नवंबर 2022) उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ चुनाव पूर्व का ऐलान किया। शिव शक्ति और भीम शक्ति का गठबंधन कई आगामी चुनावों पर अपनी गहरी छाप छोड़ सकता है। इसमें
साल 2023 के बीएमसी चुनाव (BMC Election) और 2024 में लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव शामिल हैं। इसके अलावा ये गठबंधन सामाजिक ताने-बाने और राज्य की राजनीति को भी बदलने कुव्वत रखता है। मामले पर अंबेडकर के हवाले से कहा गया कि ठाकरे को हालांकि ये पता लगाना होगा कि क्या वो कांग्रेस और एनसीपी (Congress and NCP) के साथ गठबंधन जारी रखेंगे अगर ये जारी रखा जाता है तो क्या गठबंधन के साथी वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) को सहयोगी के तौर पर कबूल करेगें या फिर क्या शिवसेना (यूबीटी) और वीबीए गठबंधन सहयोगी होंगे।’
मामले पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस और एनसीपी से जुड़े अपने एमवीए गठबंधन (MVA Alliance) पर असर डाले बिना नये सहयोगियों को शामिल करने का फैसला किया है।
शिवसेना (यूबीटी)-वीबीए गठबंधन भाजपा के सत्तारूढ़ गठबंधन, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई वाले बालासाहेबंची शिवसेना (Balasahebchi Shiv Sena) और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के लिये बड़ी चिंता का सब़ब बन सकता है। अंबेडकर के साथ हाथ मिलाने के ठाकरे के कदम से एमवीए के पक्ष में ओबीसी, मराठी और दलित वोटों का पुख़्ता ध्रुवीकरण होगा।
चूंकि बीजेपी (BJP) अब ठाकरे के साथ गठबंधन में नहीं है, उसे ओबीसी वोट बटोरने में खासा मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है, जिसके लिये उसे कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। वैसे भी मराठा वोट बैंक (Maratha Vote Bank) का झुकाव कांग्रेस-एनसीपी के स्थापित नेताओं की ओर रहा है।
बीआर अंबेडकर के पोते के साथ गठबंधन ठाकरे को सांसदों और विधायकों के पलायन के मद्देनजर अपनी पार्टी में दुबारा जान फूंकने में खासा मदद कर करेगा जो कि इस साल की शुरुआत में पार्टी में बंटवारे के बाद शिंदे की अगुवाई वाली बालासाहेबंची शिवसेना में शामिल हो गये थे। खासतौर से ये पूर्व मुख्यमंत्री को 2024 के आम और विधानसभा चुनावों के दौरान विदर्भ (Vidarbha) क्षेत्र में बड़ी बढ़त दिला सकता है।
मूल शिवसेना इसके संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) के नेतृत्व में दलित संगठनों के साथ हमेशा एक उथल-पुथल भरा इतिहास रहा है, खासकर दलित पैंथर (Dalit Panther) के समय और बाद में मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (Marathwada University) के नाम परिवर्तन आंदोलन के दौरान।
अपने जीवन के आखिरी सालों में बालासाहेब ठाकरे ने “शिवशक्ति-भीमशक्ति” शब्द को जन्म देते हुए आरपीआई (अठावले) नेता रामदास अठावले के साथ हाथ मिलाकर ये पहल की थी, हालांकि ये राजनीतिक समीकरण लंबे समय तक टिक नहीं पाया।