न्यूज डेस्क (अमित त्यागी): शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बीते रविवार (18 जून 2023) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के अमेरिका दौरे को लेकर उनकी आलोचना की और पूछा कि हिंसा प्रभावित उत्तर-पूर्वी राज्य में संकट हल करने के लिये वो मणिपुर जाने के बजाय विदेश क्यों जा रहे हैं? अपनी पार्टी के राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए पिछले साल शिवसेना (Shiv Sena) के विद्रोह के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की अगुवाई वाली मोदी सरकार को देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की चुनौती दी।
ठाकरे ने कहा, “हमारे देश का एक हिस्सा हिंसा और आगजनी की चपेट में है और पीएम मोदी वहां नहीं गये, जातीय संकट को हल करने के लिये कदम नहीं उठाये, बल्कि वो अमेरिका जा रहे हैं।” बता दे कि प्रधानमंत्री 20 से 25 जून तक अमेरिका और मिस्र (America and Egypt) की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं।
ठाकरे ने आरोप लगाया कि ऐसे दावे किये गये हैं कि पीएम मोदी रूस-यूक्रेन जंग को रूकवा सकते। उन्होंने इसी मुद्दे पर कहा कि, “पीएम मोदी को मणिपुर (Manipur Crisis) हिंसा रोकनी चाहिये और शांति बहाल करनी चाहिये, इसके बाद ही हम इन दावों पर भरोसा करेंगे।”
बता दे कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय (Meitei and Kuki Community) के लोगों के बीच एक महीने से ज्य़ादा समय से चल रही जातीय हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गयी।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि वो 23 जून को गैर भाजपा दलों की होने वाली बैठक के लिये पटना (Patna) जाएंगे। इसी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि, “जो कोई भी विपक्षी दल जो कि वहां बैठक कर रहे हैं, वो दल जो राष्ट्रवादी हैं, जो अपने देश से प्यार करते हैं और देश की आज़ादी और लोकतंत्र की रक्षा करना चाहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलने ‘मातोश्री’ (ठाकरे के निजी आवास) गये थे और उन्हें बैठक के लिये न्यौता दिया था। इसी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि, “पहले मातोश्री (Matoshree) में सिर्फ बीजेपी नेता आते थे, लेकिन अब बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टियों को शिवसेना की अहमियत का एहसास हो गया है। देश से प्यार करने वाले सभी दलों को बीजेपी को रोकने के लि. एक साथ आना चाहिये”
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और पार्टी के 39 विधायक तत्कालीन उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करते हुए, शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA-Maha vikas Aghadi Alliance) सरकार को गिराने के बाद पिछले साल जून में शिवसेना अलग हो गये थे।
शिंदे बाद में भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने और चुनाव आयोग ने बाद में उनके गुट को मूल पार्टी का नाम और धनुष और तीर का निशाना मुहैया करवाया था, जबकि ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) का नाम मिला।