भोपाल (मध्य प्रदेश): भोपाल जिला प्रशासन (Bhopal District Administration) ने सूबे में फ्लोर टेस्ट (Floor test) से ठीक पहले मध्य प्रदेश विधानसभा भवन (Madhya Pradesh Assembly Building) में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-144 (Section 144) लागू कर दी है। इस इलाके में धारा-144, 16 मार्च से 13 अप्रैल तक प्रभावी रहेगी। आईपीसी (IPC) की इस धारा के मुताबिक सार्वजनिक स्थानों पर पांच या अधिक लोगों का जमावड़ा नहीं हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो लोगों को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत (Judicial custody) में डाल दिया जायेगा। भोपाल के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर (District Magistrate and Collector) तरुण कुमार पिथोडे द्वारा जारी सरकारी फरमान (Official decree) के अनुसार 16 मार्च 2020 से 13 अप्रैल 2020 तक होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान विभिन्न समूहों और राजनीतिक दलों (Political parties) द्वारा कड़ा विरोध प्रदर्शन (Strong protest) होने की तीव्र संभावना (High probability) है।
दूसरी ओर सूबे के सियासी पारे में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जिसके तहत मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (Governor Lalji Tandon) के शनिवार को भाजपा प्रतिनिधिमंडल (BJP delegation) की बैठक के बाद आगामी सोमवार (16 मार्च 2020) को फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही थी। जिसके चलते 16 मार्च के लिए भाजपा ने अपने सभी विधायकों को व्हिप (Whip) जारी कर दिया है। कांग्रेसी विधायकों (Congress MLAs) भी सत्र (Session) में रहने के लिए बाध्य है, फिलहाल कांग्रेसी विधायक जयपुर के एक रिसॉर्ट में है।
इस बीच मध्य प्रदेश के मंत्री प्रदीप जायसवाल (Minister Pradeep Jaiswal) का बयान सामने आया है, जिसके मुताबिक आगामी सोमवार को विधानसभा सत्र (Assembly session) में फ्लोर टेस्ट नहीं होने की बात कहीं गयी है। जिस तरह से सूबे के सियासी समीकरण (Political equation) रोज लड़खड़ा रहे है, उसके मद्देनज़र सभी विधायकों के बीच अनिश्चितता का माहौल (Situation of uncertainty) पनप रहा है। इसी वज़ह से दोनों सियासी पार्टियों के विधायकों मध्य प्रदेश से बाहर लक्जरी होटलों (Luxury hotels) में रखा गया है। जाहिर तौर पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने समर्थित विधायकों (Supported legislators) को टूटने नहीं देना चाहेगी।
मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में उस वक़्त उथल-पुथल मच गयी थी, जब सूबे में कांग्रेस युवा और विश्वसनीय चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) पाला बदलकर भाजपा में आ गये। जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट (Political crisis) उपजा। कांग्रेस का दामन छोड़ने के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने सिंधिया के प्रति आस्था दिखाई थी। जिसके चलते बहरहाल कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छाये हुए है। इससे पहले भी कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया था कि, गुरुग्राम के मानेसर और बेंगलुरु के लक्जरी होटल में आठ कांग्रेसी विधायकों को भाजपा ने ज़बरन उनकी मर्जी के खिल़ाफ बंधक बना रखा है।