न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के सामने जवाब दाखिल करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा- नोएडा और गाजियाबाद की तुलना में राजधानी दिल्ली में Covid-19 इंफेक्शन का जोखिम 40 गुना ज्यादा है, ऐसे में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और दिल्ली (Delhi) सीमा पर आवागमन प्रतिबंधित करने का फैसला एकदम जायज है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने कहा- यूपी सीमा पर लगाए गए प्रतिबंध के दौरान डॉक्टरों, मीडिया कर्मियों और वकीलों सहित जरूरी सेवाओं की आपूर्ति में लगे लोगों को उत्तर प्रदेश में आवागमन की पूरी छूट होगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली खंडपीठ कर रही है। सुनवाई के दौरान न्यायिक खंडपीठ ने गृह सचिव और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के मुख्य सचिवों के बीच हुई बैठक का विवरण मांगा। जिसे आज शाम तक दाखिल करने के निर्देश दिए गए।
हालांकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना कि, दिल्ली के साथ लगी नोएडा (Noida) और गाजियाबाद (Gaziabad) सीमा पर आवागमन खोलने के लिए कुछ तकनीकी पेंच है। इस बीच उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता ने कहा- नोएडा और गाजियाबाद में दिल्ली की ओर से आने वाले आवागमन पर प्रतिबंध जारी रखना होगा। क्योंकि इन दोनों इलाकों की तुलना में दिल्ली में संक्रमण की दर 40 गुना ज्यादा है। सुनवाई के दौरान हरियाणा ने अपना पक्ष साफ करते हुए कहा कि- हरियाणा में दिल्ली से होने वाले आवागमन पर किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई रोहित भल्ला द्वारा दायर याचिका पर की जा रही थी। याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से दिल्ली की सीमाओं पर लगे प्रतिबंध को हटाने के विशेष निर्देश और आदेश जारी करने की अपील की थी। सीमा पर लगे प्रतिबंध के कारण आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के अधिकारियों से बैठक कर मामले का संयुक्त रोड मैप बनाने की सलाह दी थी। जिससे कि तीनों राज्यों के बीच यात्रियों के सुलभ आवागमन की आम प्रशासनिक नीति तय हो सके। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 17 जून तक के लिए बढ़ा दी गई है।