UP Election 2022: अब तक हुए चार चरणों में उत्तर प्रदेश की 57 फीसदी सीटों पर मतदान हो चुका है। यानि वोटिंग हो चुकी है। ऐसे में उभरे तथ्यों और विश्लेषण का आधार पर कुछ तस्वीरें निकल सामने आ रही है, जिससे ये समझने में आसानी होगी कि किसने किसको चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर दी।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चौथे चरण में नौ जिलों की 59 सीटों पर करीब 59 फीसदी मतदान हुआ। ये आंकड़े शाम पांच बजे तक के हैं और मतदान शाम छह बजे तक हुआ। ऐसे में उनमें कुछ बदलाव हो सकते हैं। पिछली बार इन सीटों पर 61.92 फीसदी वोटिंग हुई थी।
पीलीभीत और बांदा (Pilibhit and Banda) जिलों को छोड़कर जिन नौ जिलों में मतदान हुआ, उनमें से बाकी जिले अवध इलाके में आते हैं और ये कुल सात जिले हैं। इनमें लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और फतेहपुर (Rae Bareli and Fatehpur) शामिल हैं।
पिछली बार बीजेपी ने इन 9 जिलों की 59 सीटों पर क्लीन स्वीप किया था। तब 59 सीटों में से बीजेपी ने 51, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने चार और कांग्रेस और बसपा ने दो-दो सीटें जीती थीं।
भाजपा इस इलाके में साल 2017 के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहरा सकती है। यानि पहले और दूसरे चरण में समाजवादी पार्टी ने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए बीजेपी को बांधे रखा लेकिन अब सांस नहीं चल रही है, बाकी चरणों में रन बनाना बहुत मुश्किल हो गया है। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि बीजेपी (BJP) ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है।
दूसरे चरण में अखिलेश यादव ने सिर्फ मुस्लिम प्लस यादव वोट बैंक के फॉर्मूले पर भरोसा न करके अपनी राजनीति की प्रयोगशाला में एक नया फॉर्मूला तैयार किया, जिसमें वो अलग-अलग जातियों को संगठित करके एक नया वोट बैंक बनाना चाहते थे। लेकिन हमारा आकलन है कि तीसरे और चौथे चरण में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिये ये फॉर्मूला ज्यादा कारगर नहीं रहा क्योंकि बीजेपी ने अपने बनाये नये फॉर्मूले के साथ इसका जवाब दिया।
चौथे चरण में भाजपा के 17 उम्मीदवार ओबीसी समुदाय से, 16 दलित, 9 ब्राह्मण, 9 ठाकुर, बनिया कायस्थ और सिख समाज से 6-6 लोगों को चुनावी मैदान में उतारा। इसके अलावा उम्मीदवारों में एक खत्री समुदाय से भी था। यानि इस दौर में बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग ने अखिलेश यादव के समीकरणों को उलझा दिया है।
अगर चौथे चरण की वोटिंग पैटर्न की बात करें तो इसे आप पांच बिंदुओं में समझ सकते हैं।
प्वाइंट 1: बीजेपी ने इस चरण में शानदार प्रदर्शन किया है और बीजेपी को संगठित तरीके से हिंदुओं खासकर पिछड़ी जातियों के वोट मिले यानि कई गांवों ने एक साथ बीजेपी के पक्ष में वोट किया है। इन सीटों पर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को ज्यादा फायदा नहीं हुआ और इससे उनकी बेचैनी बढ़ सकती है। ये बात अखिलेश यादव को पता थी और इसीलिए उन्होंने इस चरण में मुस्लिम और यादव समुदाय के उम्मीदवारों को कम टिकट दिया। लेकिन इस बार उनकी सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) ज्यादा कारगर नहीं रही।
प्वाइंट 2: पहले और दूसरे चरण के बाद अब बीजेपी को बाकी चरणों में ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा है और भाजपा लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद और गोरखपुर जैसे जिलों में पार्टी अपने पिछले प्रदर्शन को दोहरा सकती है। यानि इन जिलों में बीजेपी को होने वाला नुकसान शायद ना के बराबर हो।
प्वाइंट 3: चौथे चरण में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम प्लस यादव फैक्टर पर बीजेपी का मोदी प्लस योगी फैक्टर भारी पड़ गया है।
प्वाइंट 4: कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में भी मतदान हुआ, जिसमें कुल पांच सीटें हैं। पिछली बार कांग्रेस ने यूपी भर में जिन सात सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से दो एक ही जिले से जीती थीं। लेकिन इस बार रायबरेली की इन दो सीटों पर भी कांग्रेस नहीं टिक पायेगी क्योंकि यहां मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच नज़र आ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं, लेकिन इस बार उन्होंने क्षेत्र में एक भी रैली नहीं की और प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) भी कुछ खास नहीं कर पाईं।
प्वाइंट 5: आज अवध के सात जिलों में मतदान हो चुका है, वहां राम मंदिर (Ram Mandir) का मुद्दा अहम हो गया है।
कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर वोट नहीं डाले गये। इसके बजाय वोट योगी और अखिलेश के नाम पर हैं। चौथे चरण की कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर हो सकती है और यहां जीत-जीत का अंतर 500 से 1000 वोटों के बीच हो सकता है। इसके अलावा उन्नाव और लखीमपुर खीरी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सुपर ओवर की भी नौबत आ सकती है।
उत्तर प्रदेश में अब तक हुए मतदान की बात करें तो अब तक 45 जिलों की 231 सीटों पर मतदान हो चुका है यानि 57 फीसदी सीटों पर वोटिंग हुई है। सरकार बनाने के लिए जरूरी 403 सीटों में से 202 से ज्यादा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। अब अगले चरण जो बचे हैं वो बॉक्सिंग राउंड की तरह होंगे। 30 जिलों की 172 सीटों पर मतदान होगा। इनमें से आठ जिले अवध के हैं और 22 जिले पूर्वांचल (Purvanchal) के हैं। अब तक हुए चार चरणों के मतदान का सार बतायें तो वो ये है कि अब भाजपा के सामने ज्यादा चुनौती नहीं है और इन चरणों में जाति और धर्म से ज्यादा मोदी और योगी के नाम पर वोट गिर सकते हैं। इसके अलावा आने वाले 3 चरणों में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन सहयोगियों की भी कड़ी परीक्षा होगी क्योंकि चुनाव धीरे-धीरे पूर्वांचल की ओर बढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में बचे तीन चरणों में से पूर्वांचल बेहद अहम है। और इसी क्षेत्र में प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी आता है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी अब लगातार रैलियां कर रहे हैं और बाराबंकी में अपनी रैली में उन्होंने ‘परिवारवाद’ के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी पर बड़ा हमला बोला।
सह-संस्थापक संपादक : राम अजोर