न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हस्तिनापुर निर्वाचन क्षेत्र (Hastinapur constituency) वजूद में आने के बाद से राज्य में विधानसभा चुनाव नतीज़ों से पता चलता है कि जिस भी राजनीतिक दल ने इस विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है, उसने हमेशा ही उत्तर प्रदेश की सत्ता का सिंहासन हासिल किया है।
साल 1957 से शुरू होकर जब निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया और कांग्रेस ने सीट जीती और आखिर में साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने तक सरकार बनायी, सरकार बनाने वाली सभी पार्टियों ने इस सीट पर जीत हासिल की।
कथाओं के मुताबिक हस्तिनापुर महाभारत युद्ध के बाद वहां से शासन करने वाले पांडवों की राजधानी (Capital Of The Pandavas) थी। साल 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार बिशंभर सिंह ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI- Communist Party of India) के प्रीतम सिंह को हराकर ये सीट जीती। कांग्रेस ने संपूर्णानंद को बतौर मुख्यमंत्री बनाकर राज्य में अपनी सरकार बनायी। 1962 और 1967 में भी कांग्रेस ने हस्तिनापुर सीट जीती और सरकार बनायी। साल 1967 के बाद से मेरठ जिले में हस्तिनापुर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिये एकमात्र आरक्षित सीट रही।
1969 में कांग्रेस भारतीय क्रांति दल (BKD -Bharatiya Kranti Dal) की आशा राम इंदु से हार गयी। 1967 में कांग्रेस से अलग होने के बाद चौधरी चरण सिंह द्वारा बीकेडी का गठन किया गया था। बाद में सिंह 1969 में दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस ने 1974 में फिर से ये सीट जीती जिसमें रेवती रमन मौर्य (Revathi Raman Maurya) ने हस्तिनापुर सीट जीती और तब हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemvati Nandan Bahuguna) यूपी के मुख्यमंत्री बने।
पार्टी ने 1976 में सत्ता संभाली थी जब एनडी तिवारी (ND Tiwari) राज्य के मुख्यमंत्री थे। 1977 में रेवती रमन मौर्य ने जनता पार्टी (जेपी) के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता और पहले की तरह ही चुनावी नतीज़ों का पैटर्न देखा गया। इस क्रम जेपी नेता राम नरेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने।
साल 1980 में कांग्रेस (आई) के झग्गर सिंह ने सीट से चुनाव जीता और विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh) मुख्यमंत्री बने। 1985 में कांग्रेस के हर्षरन सिंह ने सीट जीती और एनडी तिवारी फिर से मुख्यमंत्री बने। 1989 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) मुख्यमंत्री बने और उसी साल झगड़ सिंह ने जनता दल (समाजवादी) के उम्मीदवार के तौर पर हस्तिनापुर सीट जीती। 11वीं और 12वीं विधानसभाओं में हस्तिनापुर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हुए। 1996 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश में सरकार बनायी और पार्टी उम्मीदवार अतुल खटीक ने हस्तिनापुर सीट पर कब्जा किया।
समाजवादी उम्मीदवार प्रभु दयाल बाल्मीकि ने पहली बार 2002 में हस्तिनापुर से जीत हासिल की, जहां मायावती (Mayawati) ने एक साल से ज़्यादा समय तक मुख्यमंत्री पद संभाला और फिर मुलायम सिंह यादव ने शेष अवधि के लिये सत्ता हासिल की। साल 2007 में बसपा के योगेश वर्मा ने सीट जीती और मायावती ने राज्य में सरकार बनाई। 2012 के चुनावों में बाल्मीकि ने फिर से बसपा उम्मीदवार योगेश वर्मा पर 6,641 मतों से जीत हासिल की और अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने।
2017 में बीजेपी के दिनेश खटीक ने तत्कालीन बसपा योगेश वर्मा को हराया और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि दोनों उम्मीदवार इस बार मैदान में हैं। इस बार वर्मा सपा-रालोद के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने अर्चना गौतम को और बसपा ने संजीव जाटव को उम्मीदवार बनाया है। जब बीजेपी के दिनेश खटीक से इस चुनावी संयोग के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने से कहा कि, “जो कोई भी हस्तिनापुर जीतता है, वो यूपी में सरकार बनाता है। मेरे पास सभी का आशीर्वाद है और योगी आदित्यनाथ फिर से सरकार बनायेगें। योगी जी और मोदी जी की अगुवाई में हमने सभी वर्गों को लाभ पहुंचाया है, महिलाएं भी सशक्त हुई हैं।”
ये देखना दिलचस्प होगा कि 2022 के राज्य चुनावों में हस्तिनापुर सीट कौन जीतेगा और क्या जीतने वाली पार्टी उत्तर प्रदेश में फिर से सरकार बनाती है। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान 10 फरवरी, 14, 20, 23, 27 और 3-7 मार्च को होगा। हस्तिनापुर में 10 फरवरी को मतदान होगा।