न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): बीते अप्रैल महीने के दौरान संपन्न हुये उत्तर प्रदेश चुनावों (UP Panchayat Chunav) में चुनावी ड्यूटी के दौरान कम से कम 700 सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों की मौत कोरोना के कारण हुई। उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को खत लिखकर इस बारे में लिखा। खत में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा संघ ने मरने वाले लोगों के नामों की लिस्ट भेजी। चिट्ठी में जिक्र किया कि, सरकारी स्कूल कर्मियों की मौत प्रशिक्षण और चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमण से हुई।
राज्य निर्वाचन आयोग ने मतगणना को स्थगित करने की टीचर्स एसोसिएशन की मांग पर कोई बयान नहीं दिया। इस हफ़्ते की शुरुआत में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर प्रशासन और राज्य निर्वाचन आयोग की आलोचना की। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनाव अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जायें? टीचर्स एसोशिएशन (Teacher’s Association) के मुताबिक आजमगढ़ जिले में अधिकतम 33, गोरखपुर में 31, प्रयागराज में 25 और लखनऊ और लखीमपुर खीरी जिलों में 20 -33 सरकारी स्कूल के कर्मचारियों की मौत हुई। इनसे बचा जा सकता था। कई लोगों की जान बचायी जा सकती थी। हमने प्रशिक्षण के दौरान ही प्रशासन को बताया था कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा था।
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने शुक्रवार को जिला मजिस्ट्रेट से कहा कि दवाओं की उपलब्धता और डॉक्टरों की तैनाती के साथ मतगणना केंद्रों पर चिकित्सा स्वास्थ्य डेस्क बनाना सुनिश्चित किया जायेगा। उत्तर प्रदेश में 15 से 29 अप्रैल के बीच हुये चार चरणों के पंचायत चुनावों में लगभग 850,000 स्थानीय निकाय सीटें दावा पर लगी हुई है।
ये मुद्दा शुक्रवार को जब सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और एसईसी को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए बोला कि, कोरोना महामारी के बीच अगर पंचायत चुनावों की मतगणना नहीं रोकी गयी तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि मौजूदा हालातों को देखते हुए क्या मतगणना (Counting of votes) को रोका नहीं जा सकता।