नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) लगातार चीन (China) को घेरते जा रहा है। इसके लिए वो हर संभव कूटनीतिक और सामरिक विकल्पों (Diplomatic and strategic options) को तलाशते है, और उनको लागू कर देते है। जिससे लगातार बीजिंग की बेचैनी बढ़ती जा रही है। दोनों मुल्कों के बीच अघोषित तौर पर शीतयुद्ध वाली स्थिति बनी हुई है। दक्षिणी चीन सागर, ताइवान और लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर बने सैन्य गतिरोध के मसले पर अमेरिकी रवैया चीनी हुक्मरानों के लिए पहले से ही परेशानी का सब़ब बना हुआ है।
हाल ही में चीनी घुड़कियों को दरकिनार करते हुए, वाशिंगटन ने दि तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट ऐक्ट (The Tibet Policy and Support Act) को मंजूरी देते हुए, उस पर हस्ताक्षर कर दिये है। इस कानून की बुनियाद पर अब तिब्बतियों को धर्म गुरु दलाई लामा को चुनने की अधिकारिक अमेरिकी मान्यता मिल गयी है। बीजिंग इस कवायद से बेहद बौखलाया हुआ है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, वाशिंगटन, बीजिंग के आंतरिक मामलों से छेड़खानी कर रहा है। जिसे किसी भी सूरत में नज़र अन्दाज़ नहीं किया जा सकता। इससे दोनों के द्विपक्षीय संबंधों पर खासा नकारात्मक असर पड़ सकता है। चीन अमेरिकी संबंधों की पुन: समीक्षा (Sino-American Relations Review) कर सकता है।
बीजिंग ने वाशिंगटन के इस रवैये को सिरे से खाऱिज कर दिया है। साथ दावा किया कि तिब्बत उनकी संप्रुभता के अन्तर्गत आने वाला अंदरूनी मामला है। घरेलू मुद्दों में बाहरी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। चीन उस वक्त बेहद बौखला गया था, जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा में अमेरिकी दूतावास खोलने की मांग की थी। मौजूदा कवायद की मदद से अमेरिकी प्रशासन तिब्बतियों से सीधे राजनयिक संबंध स्थापित करना चाह रहा है। नये अमेरिकी कानूनों की सिफारिशों के मुताबिक नये दलाई लामा के चुनाव के लिए तिब्बती राजनयिक (Tibetan diplomat) अंतरराष्ट्रीय सहयोग हासिल कर सकेगें।
इसके साथ ही तिब्बती समुदाय के लोग और निर्वासित सरकार अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकेगें। अमेरिकी जमीन पर चीनी तब तक नये वाणिज्य दूतावास नहीं खोल सकेगा, जब तक कि अमेरिका को बीजिंग की ओर से ल्हासा में वाणिज्य दूतावास खोलने की अनुमति ना मिल जाये। इसके साथ ही उन सभी चीनी अधिकारियों पर अमेरिकी आर्थिक और वीजा पाबंदियां लगायी जायेगी, जो कि दलाईलामा पद की चयन प्रक्रिया में दखलअंदाज़ी करता हो। इस नये अमेरिकी कानून से हिमाचल प्रदेश के मेकलॉडगंज चलायी जा रही, तिब्बत की निर्वासित सरकार (Exile Government of Tibet) को संजीवनी बूटी मिलेगी। साथ ही तिब्बत आज़ाद कराने की उनकी मांग में नया जोश भरेगा।