US ने दिया China को करारा झटका, इन कंपनियों पर गिरेगी गाज़

न्यूज़ डेस्क (निकुंजा राव): उईगर मुस्लिमों के मानवाधिकार का मुद्दा (Human rights issue of Uygar Muslims), ताइवान की सुंप्रभता का उल्लंघन, हांगकांग में नया सुरक्षा कानून, सेनकाकू द्वीप (Senkaku Islands) पर मलिकाना हक़ जताना, कोरोना वायरस, दक्षिण चीन सागर में दादागिरी और भारत से सैन्य तनाव जैसे मुद्दों की वज़ह से विश्व भर में चीन चौतरफा घिरता जा रहा है। जिसकी वज़ह से बीजिंग को भारी नुकसान पहुँचना शुरू हो चुका है। अमेरिकी प्रशासन द्वारा चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं को प्रतिबंधित करने के बाद, अब अमेरिका 20 चीनी कंपनियों को ब्लैक लिस्ट (20 Chinese companies blacklisted) करने की तैयारी शुरू कर चुका है। जिसमें हुआवेई (Huawei) खासतौर से शामिल है। एक बार ब्लैक लिस्ट होने के बाद अमेरिकी बाज़ार में इन कंपनियों का काम करना मुश्किल हो जायेगा।

अमेरिकी आन्तरिक मामलों से जुड़े विभाग के मुताबिक- ब्लैक लिस्ट के लिए चयनित की गयी 20 कंपनियों की विश्वसनीयता काफी संदिग्ध है। ये वो कंपनियां है, जिन्हें पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी की शह हासिल है। इसी के चलते हुआवेई को 5जी नेटवर्क से जुड़े कामों से दूर रखा जायेगा। ये काम अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (US Department of Defense) की अगुवाई में हो रहा है। हुआवेई के अलावा एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना (Aviation Industry Corporation of China), चाइना टेलीकॉम कॉर्पोरेशन, चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन, चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन (China aerospace science and industry corporation) और मोबाइल कॉम्युनिकेशंस ग्रुप संभवत: आने वाले कुछ दिनों में अमेरिकी प्रतिबंध का सामना कर सकती है।

पेंटागन के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रम्प के हस्ताक्षर के बाद जल्द ही इससे जुड़ी अधिसूचना जारी की जा सकती है। कयास ये भी लगाये जा रहे है कि, अमेरिकी ज़मीन पर इन कंपनियों की परिसंपत्तियों (Corporate assets) को जब़्त करके जांच के लिए वित्तीय सूचनायें मंगवाई जा सकती है। ब्लैक लिस्ट में शामिल वीडियों सर्विलांस कंपनी हिकविजन (Video Surveillance Company Hikvision) ने अपना पक्ष रखते हुए कहा- हमारी कंपनी में किसी भी तरह पीएलए का दखल नहीं है। और ना ही हमने कभी उनके लिए कोई प्रोजेक्ट या शोध किया है। जल्द ही कंपनी का प्रतिनिधिमंडल (Company delegation) अमेरिकी प्रशासन से इस मुद्दे पर बात करेगा।

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते कूटनीतिक और सामरिक तनाव (Diplomatic and strategic tension) के बीच डेमोक्रेट और रिपब्लिकन (Democrat and Republican) दोनों ही पार्टियों के सांसद इस लिस्ट को जारी करने के लिए दबाव बना रहे है। फिलहाल अमेरिकी प्रशासन की ओर से इस मसले पर कोई आधिकारिक ज़वाब नहीं आया है।

इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (US Secretary of State Mike Pompeo) ने चीनी टेलीकॉम कंपनियों से ज़्यादा भरोसेमंद रिलायंस जियो (Reliance JIO) को माना है। पोम्पियों ने जियो को क्लीन टेल्को (Clean telco) बताया। इस दौरान उन्होनें ये भी कहा कि,वैश्विक कारोबारी माहौल बीजिंग के खिलाफ बनता दिख रहा है।

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