एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): तख्तापलट कर बनी म्यांमार की सैन्य सरकार के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Jo Biden) ने काफी सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है। जिसके तहत अब जल्द ही अमेरिकी सरकार कई कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। राष्ट्रपति जो बाइडन कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर इस फैसले को अंतिम मंजूरी दे दी है। लगाए गए प्रतिबंधों के तहत म्यांमार सैन्य सरकार के प्रतिनिधि और उनके परिवार का कोई भी सदस्य अमेरिका से किसी तरह के व्यापारिक नहीं संबंध नहीं रखा पाएगा। आदेश के साथ ही अमेरिकी वित्तकोष विभाग (US Treasury Department) ने बयान जारी कर बताया कि, इससे कौन और किस तरह प्रभावित होगा।
एग्जीक्यूटिव बॉर्डर पर हस्ताक्षर होने के बाद अमेरिकी सरकार ने म्यांमार से होने वाले इम्पोर्ट पर शिकंजा कसा। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार की ओर से म्यांमार को मिलने वाली एक बिलियन डॉलर की सहायता राशि को भी रोका गया है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने दावा किया कि, अभी ये प्रतिबंध शुरूआती दौर के है। हालातों की समीक्षा करते हुए सैन्य सरकार पर और भी कड़े प्रतिबंध लगाये जाये। अमेरिकी परिपाटी के देखते हुए मानवाधिकारों और उदारवादी नीतियों (Human Rights and Liberal Policies) को बरकरार रखा गया है। इसलिए वाशिंगटन की ओर से म्यांमार के लिए जारी होने वाली मेडिकल मदद और उपकरणों की सहायता पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
फिलहाल म्यांमार की सत्ता कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस सर्विस मिंग ऑन्ग ह्लेनिंग के हाथों में है। जो कि तातमदेव (म्यांमार की सेना का औपचारिक नाम) के प्रमुख भी है। मिंग ऑन्ग ह्लेनिंग ने तख़्ता पलट कर तुरन्त ही स्टेट काउंसिल का गठन (Constituted a State Council) कर देश के सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली। गौरतलब है कि सेना के नियन्त्रण में कई संवेदनशील इलाके है। जहां लगातार फ्लैग मार्च किया जा रहा है। म्यांमार के लोकतन्त्र समर्थक नेताओं को नज़रबंद कर वहां भारी सुरक्षाबलों की तैनाती की गयी है।
पुलिस के दंगा निरोधी बल किसी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए तैनात किया गया है। कई लोग कयास लगा रहे है कि लोकतन्त्र की बहाली के लिए अमेरिकी सरकार ग्राउंड फोर्सेस (Ground forces) की तैनाती कर सकती है, लेकिन फिलहाल अमेरिकी सरकार ने इस मसले पर अपना रूख़ साफ नहीं किया है। सैन्य सरकार म्यांमार पर नियंत्रण पाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया पर भी अपनी पकड़ को मजबूत कर रही है। हाल ही में राजधानी नेपीडॉ की सड़कों पर बौद्ध भिक्षुओं ने सैन्य सरकार के लिए आवाज़ बुलन्द की।