न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): तीरथ सिंह रावत ने बीते शुक्रवार (2 जुलाई 2021) उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि राज्य में संवैधानिक संकट को देखते हुए ये फैसला बिल्कुल सही था। त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के चार महीने से भी कम समय के भीतर तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
तीरथ सिंह रावत ने मीडिया से कहा, “मैंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। संवैधानिक संकट को देखते हुए, मुझे लगा कि मेरे लिए इस्तीफा देना ही सही है। मैं केंद्रीय नेतृत्व और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अब तक हर अवसर दिया ।”
राज्य में सत्ता परिवर्तन की अटकलों को समाप्त करते हुए, रावत ने दिल्ली से लौटने के घंटों बाद देर रात 11 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना त्याग पत्र सौंपा, बुधवार को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राजधानी दिल्ली बुलाया था।
तीरथ सिंह रावत गढ़वाल से सांसद हैं। उत्तराखंड में उपचुनाव को लेकर अनिश्चितता के बीच उन्होनें इस्तीफा दिया, उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत के साथ विधानसभा चुनाव होंगे। इस साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने वाले रावत को छह महीने के भीतर राज्य विधानसभा के लिए चुना जाना था, लेकिन उपचुनाव होने की कोई निश्चितता नहीं है, जिससे राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता (Political Uncertainty) पैदा हो गयी।
विधानसभा चुनाव के छह महीने के भीतर उपचुनाव नहीं कराने के मानदंडों के अलावा कोविड-19 के हालात भी उपचुनाव ना कराये जाने की अहम वज़ह बने। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों भाजपा की अगुवाई कोई नया नेता कर सकता है। राज्य को लगभग चार महीनों में तीसरा मुख्यमंत्री मिलने की संभावना है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल की बैठक शनिवार (3 जुलाई 2021) को देहरादून में होने वाली है। उत्तराखंड के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि पार्टी विधायकों की बैठक प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में होगी। भाजपा ने शनिवार को विधायकों की बैठक के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर नामित किया है।
तीरथ सिंह रावत इस साल मार्च महीने में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लेने के बाद सभी अटकलों को खारिज करते हुए शीर्ष पद के लिए काफी हैरतअंगेज ढंग से चुने गये।
पार्टी नेताओं के एक बड़े तबके ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम की सिफारिश (Name Recommendation) की है, जो कि महसूस करते हैं कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से भी कम समय के भीतर नये उम्मीदवार पर दांव खेलने की बजाय त्रिवेंद्र सिंह रावत को दुबारा बहाल करना सुरक्षित होगा क्योंकि उनके पास जरूरी अनुभव है सीएम पद संभालने का।