न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): एक नाटकीय घटनाक्रम के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (CM Uttarakhand) ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंप दिया। माना जा रह है कि भाजपा आलाकमान (BJP high command) के द्वारा भेजे गये पर्यवेक्षकों के रिपोर्ट के बाद उन्होनें ये कदम उठाया। इस कवायद से सूबे में सियासी सरगर्मियां बढ़ गयी। जानकारों के मुताबिक उत्तराखंड चुनावों से पहले पार्टी की छवि बेहतर बनाये रखने की दरकार से ये कदम उठाया। कई विधायकों ने बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से सीएम रावत की कार्यशैली (Working style) पर गंभीर शिकायतें की थी।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के साथ सूबे में दो दिन से चल रही राजनीतिक अटकलों को विराम मिल गया है। कल भाजपा राज्य के लिए नये नेता के नाम का ऐलान कर सकती है। नये मुख्यमंत्री की दौड़ में अजय भट्ट, उत्तराखंड सरकार में मंत्री धन सिंह रावत और सांसद अनिल बलूनी आगे बताये जा रहे है। इसी क्रम में आज देर रात पार्टी के सेन्ट्रल सुपरवाइज़र दुष्यंत गौतम और रमन सिंह के देहरादून पहुँचने के पुख़्ता आसार है। जिसके बाद जल्द ही विधायक दल अपना नेता चुनकर नये मुख्यमंत्री का करेगा।
हाल ही में पर्यवेक्षकों ने उत्तराखंड में पहुँचकर पार्टी को कोर नेताओं और विधायकों-सांसदों से आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनावों को लेकर रायशुमारी की थी। जिसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में आगामी चुनावों को लेकर पार्टी को हालात बेहद खराब है। जिसके बाद उनके इस्तीफें की भूमिका तैयार हो गयी।
बीते सोमवार देर शाम को जब दिल्ली में रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा मुलाकात की तो उन्हें ज़मीनी हालातों से अवगत करवाते हुए आगे होने वाले उपायों के लिए ब्रीफिंग दी गयी। ये राजनीतिक घटनाक्रम उस वक़्त हुआ, जब भाजपा की अगुवाई वाली रावत सरकार कुछ ही दिनों में अपने कार्यकाल के चार साल पूरे करने वाली थी।
इस्तीफा देने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से कहा कि भाजपा में सामूहिकता के आधार पर विचार विमर्श करने के बाद ही होता है पुख़्ता फैसला। भाजपा आलाकमान द्वारा भेजे गये पर्यवेक्षकों ने ये आशंका जताई थी कि, अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम की कुर्सी पर बरकरार रहे तो आगामी उत्तराखंड चुनावों में भाजपा को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ सकती है।
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में भाजपा अध्यक्ष ने पाया कि, राज्य की भाजपा समितियों में रावत के खिलाफ फैल रहे अंसतोष से पार्टी की कार्यप्रणाली पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार और नौकरशाही प्रबंधन के मामले पर लचर रवैया दिखा रहे है। जिसके बाद अब उन्होनें इस्तीफा दे दिया। अब भाजपा शीर्ष नेतृत्व उनके भाग्य का फैसला करेगा कि उन्हें केन्द्र में राजधानी दिल्ली लाया जाये या फिर राज्य में ही पार्टी संभालने का कार्यभार सौंपा जाये।