न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): वाराणसी की एक अदालत ने (Varanasi Court) आज फैसला सुनाते हुए गुरुवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के लिये अपनी मंजूरी दे दी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस सर्वेक्षण कार्य पर होने वाला खर्च उत्तर प्रदेश सरकार उठायेगी। अदालत का फरमान एक स्थानीय वकील वीएस रस्तोगी द्वारा दायर याचिका पर आया, जिन्होंने मांग की थी कि ज्ञानवापी मस्जिद में आने वाली ज़मीन पर कब़्जा हिन्दुओं को बहाल किया जाये।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि, साल 1664 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने 2000 साल पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से पर ज़बरन कब़्जा करके उसे मस्जिद में तब्दील करवा दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति (Gyanvapi Mosque Management Committee) ने इस याचिका का विरोध किया था। 1998 में अंजुमन इंताज़ामिया समिति ने ये कहते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि, विवाद को दीवानी अदालत द्वारा स्थगित नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने मामले में एक भी आदेश पारित नहीं किया और ना ही निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगायी।
ये संवेदनशील मुद्दा काफी वर्षों तक अछूता रहा। इस मामले को साल 2019 में एक फिर से जोरशोर से उठाया गया। जब हिंदूओं के एक पक्ष ने इसे तूल देना शुरू किया। आज वाराणसी की अदालत ने एक आदेश पारित कर एएसआई को 5 लोगों की एक टीम बनाने करने की अनुमति दी। जिसमें से दो सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय (Minority community) से होंगे। मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण के लिए अपनी अनुमति देते हुए अदालत ने कहा कि सभी खर्चें राज्य सरकार द्वारा उठाये जायेगें।