न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): आज (10 अक्टूबर 2022) उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का 82 साल की उम्र में निधन हो गया। आज सुबह 8:16 बजे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में उन्होनें आखिरी सांसें ली। ये जानकारी उनके बेटे अखिलेश यादव ने ट्वीट के जरिये दी। पिछले कुछ दिनों से सपा नेता की तबीयत गंभीर बनी हुई थी। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था, वो उत्तर प्रदेश के सबसे दिग्गज नेताओं में से एक थे। उन्होंने केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार पद संभाला। ऐसे में पढ़िये उनकी जिन्दगी के अनसुने किस्सों के बारे में।
भैंसा गाड़ियों पर निकली थी बारात
मुलायम सिंह यादव की पहली शादी 18 साल की उम्र में परिवार वालों ने कर दी थी। मुलायम उस समय 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। लोगों का कहना है कि उस समय मोटर वाहनों का ऐसा चलन नहीं था इसलिये मुलायम की बारात भैंसागाड़ी पर निकाली गयी। मुलायम अपनी शादी में 5 भैंस गाड़ियां लेकर ससुराल पहुंचे थे।
जब डाकुओं से भिड़ गये थे नेताजी
चौधरी विधान परिषद (Chaudhary Legislative Council) के पूर्व अध्यक्ष सुखराम सिंह यादव ने कहा कि- “मुझे साल याद नहीं है। हालांकि घटना विधानसभा में माधोगढ़ (जालौन) सीट के लिये उपचुनाव थी। चौधरी में मेरे पिता, हरमोहन सिंह, मुलायम सिंह वहाँ उपचुनावों के लिये दौड़ रहे थे। मैंने भी इसमें हिस्सा लिया। उन दिनों रात में गाँवों में जाकर लोगों से मिलने और वोट माँगने की परंपरा थी। हम एक गाँव से दूसरे गाँव जा रहे थे। रात का समय था। हमें गोलियां चलने की आवाज़ सुनायी दी। गोली कुथवन के पास गाँव में चली थी। मुझे नेताजी द्वारा गाँव में जीप चलाने का निर्देश दिया गया। शायद कोई डकैती चल रही है। इसके अलावा उन्होंने पास के गाँव के कुछ गांववालों को जगाया। हम सभी उस गाँव के करीब पहुँचे। हम लोग गाँव के ठीक पहले एक पड़ाव पर आये, इस बीच डाकुओं से हमारी सीधी भिड़ंत हो गयी और डाकुओं ने हम पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। एक वक्त ऐसा आया जब डाकुओं ने .22 बोर की राइफल सीधी नेता जी पर तान दी थी, लेकिन भारी गोलीबारी के बीच नेताजी पूरी तरह से डटे रहे। उनका दिलेरी देखकर आखिरकर डाकुओं को गाँव छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा। गाँव में सभी लोग जिंदा और पूरी तरह सही सलामत थे।
आम लोगों की करते थे मदद
नेताजी की कोठी और पार्टी दफ्तरों में भी बहुत से ऐसे लोग आते थे जिनके पास न गर्म कपड़े थे, न जूते थे या जो सर्दी में बीमार थे। ऐसे कई मिसाल हैं कि नेताजी ने उनकी समस्याओं को हल करने के साथ-साथ उनके लिये कपड़े, जूते और यहां तक कि किराये का भी इंतजाम किया।
की थी मशहूर हास्य कवि अदम गोंडवी की मदद
ऐसी ही एक और कहानी है। जब मशहूर हास्य कवि अदम गोंडवी (Famous comic poet Adam Gondvi) गंभीर रूप से बीमार पड़ गये तो उन्हें जरूरी इलाज नहीं मिल सका। गोंडवी के बेटे नेताओं के चक्कर लगाते रहे ताकि अगर कोई उनके पिता की सिफारिश करे तो उन्हें अच्छा इलाज मिल सके, लेकिन बात नहीं बनी। बीमार गोंडवी को लखनऊ (Lucknow) के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज (Sanjay Gandhi Medical College) में जगह नहीं मिली। मुलायम सिंह को जैसे ही इस बात का पता चला उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रबंधन से बात की और गोंडवी को अस्पताल में भर्ती कराया, हालांकि बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी।
प्रधानमंत्री पद की दौड़ में थे आगे
कहानी साल 1996 की है। इस साल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में कांग्रेस को बहुत कम सीटें मिली थीं। 161 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनायी। हालांकि ये सरकार 13 दिनों के भीतर ही गिर गयी। इसके बाद पीएम पद की दौड़ में उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया।