नई दिल्ली (प्रगति चौरसिया): गुरुवार को विशाखापट्टनम (Visakhapatnam) की फैक्ट्री एलजी पॉलिमर में गैस लीक (LG Polymer Gas Leak) होने से 11 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार के आला अधिकारी हरकत में आ गए थे। समय रहते इस घटना पर काबू भी पा लिया गया। लेकिन एक बार फिर से गैस लीक होने की अटकलें लगाई जा रही है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को जिस टैंकर में रिसाव हुआ था उसमें दोबारा styrene गैस का रिसाव हो रहा है। जिसे निष्क्रिय करने के लिए एयर इंडिया के विशेष कार्गो विमान से पीटीबीसी (पैरा टर्शरी ब्यूटाइल कैटेकोल) केमिकल को लाया गया है। नाजुक हालातों को देखते हुए फिलहाल मौके पर दमकल की 60 गाड़ियों की तैनाती की गयी है। स्थानीय प्रशासन द्वारा फायर बिग्रेड की 50 टीमों को हाई-अलर्ट मोड पर रखा गया है। किसी अनहोनी की आंशका के मद्देनज़र तीन किलोमीटर के दायरे में इलाके को खाली करवा लिया गया है।
दोबारा गैस लीक नहीं हुई : एनडीआरएफ
आधिकारिक तौर पर फायर ब्रिगेड के आफिसर ने गैस के रिसाव की जानकारी दी थी। लेकिन एनडीआरएफ की टीम ने इसे सिरे से नकार दिया। साथ ही स्थानीय विधायक गड़बाबू का कहना है कि, दोबारा गैस रिसाव की खबर अफवाह है। एनडीआरएफ की टीम रिपेयरिंग के काम में जुटी हुई है। रिसाव गुरुवार को सुबह 9 बजे ही बन्द कर दिया गया था। राहत बचाव में कई सुरक्षाकर्मी एवं पुलिसकर्मी तत्पर है।
मामले की सुनवाई आज
फिलहाल इस पूरी घटना में 11 लोगों के मौत की पुष्टि हुई है। 300 लोग अस्पताल में भर्ती है। जिनमें से 25 लोग वेंटीलेटर पर है। कई लोगों की हालत गंभीर है। बताया जा रहा है इनमें 15 बच्चे शामिल है। केमिकल यूनिट में गैस लीक होने के बाद अब सुरक्षा मानकों को भी लेकर जांच की मांग उठ रही है। आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री एमजी रेड्डी का कहना है कि इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए सख्त करवाई की जाएगी। साथ ही जिन लोगों ने मानकों का उल्लंघन किया है, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जायेगा। बता दे की एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने मामलों को संज्ञान में लिया है। आज इस मामले पर सुनवाई भी होगी।
बचाव की हर संभव कोशिश
जिस गैस चैंबर में रिसाव हुआ था। उसी के पास न्यूट्रलाइजर चैंबर भी मौजूद था। जिसकी मदद से रिसाव को नियंत्रित करने की कोशिश की गई थी। लेकिन तब तक हालात बेकाबू हो चुके थे। गैस का फैलाव हवा के बहाव पर निर्भर करता है। जिसे ध्यान में रखते हुए आसपास के इलाकों में 4-tert-Butylcatechol का छिड़काव किया गया है। ताकि गैस का असर कम किया जा सके।