न्यूज डेस्क (मातंगी निगम): Gyanvapi Masjid issue: विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रमुख आलोक कुमार ने बीते शुक्रवार (20 मई 2022) को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहमति जतायी और दावा किया कि हिंदू पक्ष ये साबित करने में कामयाब होगा कि पाया गया शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
उन्होंने कहा कि, “हम सुप्रीम कोर्ट से सहमत हैं कि ये काफी पेचीदा है और इसके लिये गंभीर और अनुभवी जज की जरूरत है। कोर्ट ने कहा है कि जिला अदालत इस पर गौर करेगी। हम सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से पूरी तरह सहमत हैं।”
विहिप प्रमुख ने कहा कि वो यह साबित करने में सक्षम होंगे कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पाया गया ‘शिवलिंग’ ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlingas) में से एक है। इस पर उन्होनें कहा कि “हम मानते हैं कि ये शिवलिंग है क्योंकि नंदी इसे देख रहे हैं और जगह से पता चलता है कि ये मूल 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वजू खाना पुराने खंडहरों पर बनाया गया है। मुगलों ने मंदिर पर हमला किया। हम इसे अदालत में साबित करने में सक्षम होंगे और सुप्रीम कोर्ट इस मामले का फैसला करेगा। न्यायाधीश को स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट लेने के लिये अधिकृत किया गया है और हम साबित करेंगे कि ये मूल ज्योतिर्लिंग है।”
विहिप नेता ने आगे दावा किया कि 1991 का अधिनियम ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर लागू नहीं होगा। पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 पर विहिप नेता ने कहा कि, “मुझे विश्वास नहीं है कि 1991 अधिनियम इस पर लागू होगा, क्योंकि अधिनियम में कहा गया है कि यदि धार्मिक स्थान किसी अन्य अधिनियम पर काम करता है तो ये अधिनियम प्रभावी नहीं है। काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के लिये पहले से ही एक अलग कानून है और आज सुप्रीम कोर्ट ने भी संकेत दिया है कि अधिनियम इस मामले की सुनवाई को नहीं रोकता है।”
इससे पहले बीते शुक्रवार (20 मई 2022) को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को सिविल जज से जिला जज वाराणसी (Varanasi) को ट्रांसफर करने का आदेश दिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud), सूर्यकांत और पीएस नरसिम्हा की न्यायिक खंडपीठ (Judicial Bench) ने आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा (Uttar Pradesh Higher Judicial Service) के “वरिष्ठ और अनुभवी” न्यायिक अधिकारी को मामले की जांच करनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि जिला जज को ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ में दीवानी मुकदमे की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर तय करनी चाहिए, जैसा कि मस्जिद प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी (Mosque Management Committee Anjuman Intejamiya Varanasi) ने मांग की थी।