Misfired Missile: एक पाकिस्तानी अखबार ने बीते 09 मार्च की शाम को एक प्राइवेट जेट के दुर्घटनाग्रस्त होने की घोषणा की। बताया गया कि ट्रैनिंग के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले जेट को खानेवाल जिले के मियां चन्नू गांव में गिरा दिया गया था। पायलट कथित तौर पर बाहर निकल गया, जो कि महफूज़ सुरक्षित था। पाक मीडिया ने किसी के हताहत होने या घायल होने की जानकारी नहीं दी क्योंकि दुर्घटनास्थल कोई इंसानी मौजूदगी नहीं थी। इसके तुरंत बाद पाक सेना के अधिकारियों ने इलाके की घेराबंदी कर दी और नागरिकों को दुर्घटनास्थल से हटा दिया। घटना के बारे में शक पैदा हुआ क्योंकि निजी सिंगल सीटर विमानों में शायद ही कभी इंजेक्शन सीट या जेट इंजन होते हैं।
वारदात के दो दिन बाद पाकिस्तान के डीजीआईएसपीआर मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार (DGISPR Major General Babar Iftikhar) ने ऐलान किया की: “एक सुपरसोनिक उड़ने वाली चीज़ 9 मार्च की शाम 6:43 बजे पाकिस्तान में उतरी। मिसाइल ने 40,000 फीट ऊंचाई और 250 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी तय की। हालांकि मिसाइल पर वॉरहेड नहीं लगा हुआ था। मिसाइल ने नागरिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।
पाकिस्तान ने दावा किया इस घटना से इंसानी ज़िन्दगी को कोई नुकसान या चोट नहीं पहुंची है। पाकिस्तान वायु सेना (Pakistan Air Force) ने भारत से आने वाले प्रोजेक्टाइल को 2.8 मैक की रफ्तार से लगातार ट्रैक करने का दावा किया। इस्लामाबाद ने दावा किया कि ये मिसाइल हरियाणा के सिरसा से लॉन्च हुई थी। इसके उड़ान के रास्ते को लगातार पाकिस्तानी एजेंसियों ने ट्रैक किया। पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defence System) ने इस कथित भारतीय उड़ान ऑब्जेक्ट को नीचे लाने के बारे में भी विरोधी दावे किये, जबकि जनरल बाबर ने कहा कि प्रोजेक्टाइल अपने आप गिर गया और उसे एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से मारकर नहीं गिराया गया।
भारत और पाकिस्तान ने बार-बार एक-दूसरे के एयर डिफेंस सिस्टम के रिस्पांस टाइम की टेस्टिंग की है। बालाकोट एयर-स्ट्राइक से पहले भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस को रोकने के लिये नियंत्रण रेखा के साथ बहुत सारे लड़ाकू वायु गश्ती दल उड़ाये थे। टच एंड गो सीएपी मिशन का मकसद पीएएफ वायु-रक्षा रिस्पांस टाइम का आकलन करना था। दिलचस्प बात ये है कि जब पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के इंटरसेप्टर के रिस्पांस की टेस्टिंग करने की कोशिश की थी। भारतीय वायुसेना ने कच्छ के पास एक पीएन अटलांटिक (PN Atlantic) को मार गिराया। सोशल मीडिया पर लगातार कयासों का दौर चल रहा है। “क्या मिसाइल फायरिंग की घटना ऐसी ही एक कोशिश थी?”
नई दिल्ली ने मिसाइल में तकनीकी खामी का हवाला दिया और मिसाइल के गलती से पाकिस्तान में गिरने के मामले पर खेद ज़ाहिर किया। इस ‘घटना’ को भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान ने गंभीरता से लिया, जिसके कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का फरमान जारी कर दिया गया। भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान की ओर से मिसफायर की गयी इस मिसाइल का नाम नहीं बताया गया। साथ ही वॉरहेड का भी जिक्र नहीं किया गया। हालांकि कई मीडिया रिपोर्टों ने दावा किया कि मिसाइल फ्रंटलाइन सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल थी।
कई रिपोर्टों से पता चलता है कि ‘मिसाइल’ असल में इसरो (GSLV MKIII – MI) रॉकेट का अपडेटिड वर्जन था, जिसे गलती से सिरसा भेज दिया गया था। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि ये ‘मिसाइल फायरिंग’ नहीं था, बल्कि ‘हाई स्पीड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट’ था और पाकिस्तान के डीजीआईएसपीआर मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि की है।
कई अनौपचारिक रिपोर्टों में ये भी हवाला दिया जा रहा है कि ‘उड़ने वाली इस चीज़’ में सामरिक परमाणु हथियार (1 केटी से कम) था, फिर भी एक्टिवेशन कोड रखरखाव की अवधि के दौरान इसे ढंग से लगाया नहीं जा सका था। ना ही इसमें ‘सेल्फ-डिस्ट्रक्शन कोड’ था।
पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान ने मिसाइल दुर्घटना के तथ्य को स्वीकार करने में दो दिन का समय लेने के लिये भारत की आलोचना की। पाकिस्तान के एयर वाइस-मार्शल तारिक जिया (Air Vice-Marshal Tariq Zia) ने दावा किया कि सुपरसोनिक स्पीड और इंडियन प्रोजेक्टाइल की 40,000 फीट की ऊंचाई कर्मिशियल फ्लाइट में सफर करने वाले मुसाफिरों की ज़िन्दगी को खतरे में डाल सकती थी, जो कि 35,000 से 42,000 फीट के बीच उड़ान भरते हैं।
पाकिस्तानी सेना ही पूरे पाकिस्तान के लिये इंटीग्रेटिड एयर डिफेंस की प्रभारी है। जिन आदर्श सूत्र है- डिफेंस बाय डिनायल (मनाही के जरिये हिफाज़त) पाकिस्तान के एयर डिफेंस जखीरे में AEW&C, ग्राउंड-बेस्ड रडार, HQ-7 कमांड-लाइन-ऑफ-विज़न शॉर्ट रेंज ग्राउंड-टू-एयर डिफेंस, एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी, शोल्डर फायर सर्फेस टू एयर मिसाइल और F-16 और मिराज 3E इंटरसेप्टर जेट शामिल हैं। रक्षा की पहली पंक्ति को चीनी LY-80 या HQ-16-लो टू मीडियम एल्टीट्यूड एयर डिफेंस (LOMADS) द्वारा तैयार किया गया है। जो कि आने वाले दुश्मन के एयर क्राफ्ट और मिसाइलों के खिलाफ पाकिस्तान की वायु रक्षा की बुनियाद है। चीन और पाकिस्तान दोनों ही एलवाई-80 को भारत की मिसाइलों के खिलाफ सबसे अच्छा कवच होने की दावा करते रहे है।
पाकिस्तान का संविधान भारत के ठीक उलट है, जहां देश की राष्ट्रीय रक्षा की जिम्मेदारी रक्षा सचिव और रक्षा मंत्रालय के पास है। सशस्त्र बल माध्यमिक दर्जें लेकिन काफी अहम भूमिका निभाते हैं। इस मामले ने पाक रक्षा प्रतिष्ठान के अंदर भारी उथल-पुथल मच दी है क्योंकि सेना और वायु सेना चाहती है कि नागरिक नेता और नौकरशाह देश की रक्षा के लिये जिम्मेदार हों।
पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने प्रोजेक्टाइल मुद्दे पर प्रधान सैन्य सलाहकार, खुफिया सलाहकार, कैबिनेट मंत्री, शीर्ष सैन्य नेतृत्व और वरिष्ठ नौकरशाहों की मौजूदगी में राष्ट्रीय सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की एक आपातकालीन बैठक बंद दरवाजे की पीछे की।
शुरूआती रिपोर्टों में पाक के वायु रक्षा प्रतिष्ठान में एक बड़े झटके के बारे में बताया गया है, जिसमें उनकी ओर से नाकामी का हवाला दिया गया। कतर के एक अंतर्राष्ट्रीय समाचार चैनल ने घटना के बाद पाकिस्तान के शीर्ष वायु रक्षा कमांडर की बर्खास्तगी की जानकारी दी। इसके अलावा पाकिस्तान वायु सेना के उप प्रमुख और एक और एयर मार्शल को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिये इस्तीफा देने के लिए कहा गया।
डमी ‘फ्लाइंग ऑब्जेक्ट’ का हवाला देने के तुरंत बाद पाक का एयर डिफेंस ऑपरेशंस सेंटर हरकत में आ गया, हवाई इलाके को साफ करने के लिये लगभग छह घंटे के लिये सभी सैन्य और नागरिक उड़ान को सस्पेंड कर दिया। फ्रंटलाइन एयर बेस को हाई अलर्ट पर रखा गया, क्योंकि ज़्यादातर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट 14 मार्च को 1300 बजे तक रनवे की तैयारी पर थे। ऐसा माना जाता है कि इस ‘दुर्घटनाग्रस्त’ भारतीय मिसाइल लॉन्चिंग के बाद नियमित रखरखाव और अंतिम के दौरान पाकिस्तानी इलाके मियां चन्नू के पास ‘लैंडिंग’ हुई।
डीजीआईएसपीआर ने मिसाइल के लॉन्च होने के बाद से ट्रैक करने का दावा किया। लेकिन मिसाइल के असल फ्लाइट पाथ और पाकिस्तानियों के द्वारा किये गये दावे वाला फ्लाइट पाथ अलग है। क्रैश होने से पहले मिसाइल ने पाकिस्तान के अंदर 124 किमी की दूरी तय करते हुए करीब 4 मिनट की उड़ान भरी। उस दौरान इसे न तो ट्रैक किया गया था और न ही इंटरसेप्ट किया गया। पाकिस्तान का रक्षा प्रतिष्ठान मिसाइल डिफेंस का उपयोग करने के खिलाफ है, जब तक कि टारगेट जीएचक्यू न हो। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि पैसों की तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान भी LY-80 एयर डिफेंस मिसाइलों की टेस्टिंग करने का जोखिम उठा सकता है, जिसकी कीमत 6.27 मिलियन है?
पाकिस्तानी चीनी निर्मित LY-80/HQ-16 एयर डिफेंस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की बैटरी और IBIS-150 एयर डिफेंस राडार ने 26 फरवरी, 2019 को भारत के बालाकोट हवाई हमले और 09 मार्च को आने वाली मिसफायर मिसाइल को ट्रैक या इंटरसेप्ट नहीं किया। साल 2022 में अगर ‘मिसफायर’ मिसाइल ने पश्चिम की ओर तीन मिनट और सफर किया होता तो ये भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी और लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के घर बहावलपुर तक पहुंच सकती थी, जो मुंबई पर 26/11 के आतंकी हमलों के लिये जिम्मेदार है।
पाकिस्तान की एयर डिफेंस काबिलियत पर अब पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान और नागरिक समान रूप से सवाल उठा रहे हैं। कई जानकार चीनी निर्मित LY-80 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों की बराबरी “सिस्टम की खराबी का कारण चीनी सामान” से कर रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी ओईएम द्वारा ऑनसाइट मरम्मत के बाद भी ज़्यादातर LY-8- LOMADS एयर डिफेंस सिस्टम ऑप्रेशंस से बाहर हैं। पाकिस्तान सेना चीन से कबाड़ सैन्य हार्डवेयर खरीदकर टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद कर रही है।
ताइवान पर चीनी हमले की पृष्ठभूमि में ये घटना भारतीय मिसाइलों की काबिलियत और LY-80 की नाजुकता के बारे में आंख खोलने वाली साबित हो सकती है। ताइवान भारत से मिसाइल खरीद करने जा रहा है, ऐसे में ये मामला चीनी एयर डिफेंस के खिलाफ ताइपे का भरोसा भारतीय सैन्य साज़ोसामान में बढ़ायेगा।
10 मार्च को हई डीजीआईएसपीआर की प्रेस कॉन्फ्रेंस आमतौर पर हंगामे के बिना थी। इस मामले में अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की मांग नहीं की गयी। आखिरकर पाकिस्तान में गिरी इस मिसाइल के बाद इस्लामाबाद के हुक्मरानों में उतनी बेचैनी क्यों नहीं देखी गयी, जितनी कि होनी चाहिये थी। ये मामला दोनों पक्षों द्वारा एक बड़े कवर-अप की ओर इशारा करती है? हो सकता है कि इस घटना को पाकिस्तान की प्रेस कॉन्फ्रेंस और मामले पर भारत के स्पष्टीकरण के साथ विराम दे दिया गया हो। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि मिसाइल दुर्घटना स्थल पर कोल्ड स्टोरेज था। लेकिन मलबे के करीबी विश्लेषण से पता चलता है कि तबाह हुई इमारत वर्कशॉप या गोदाम है, जिसमें मोटर और खराद मशीनें हैं। पाकिस्तानी सेना ने दो दिनों के लिये इलाके की घेराबंदी कर की। आम जनता और दुनिया से कुछ छुपाने की बात साफतौर पर नाकार दी।
पाकिस्तान ने दावा किया कि मिसाइल में कोई वारहेड नहीं था। लेकिन आईएसपीआर द्वारा साझा किये गये विजुअल्स और दुर्घटनास्थल के ओपन सोर्स वीडियो से उस तबाही का पता चलता है, जिसमें दीवारों को ढहते हुए पूरी ढांचे को चकनाचूर हालात में देखा गया। वारहेड फटने से बने विस्फोटकों के दबाव के बाद ही इस तरह की तबाही हो सकती है। मिसाइल का गड्ढा ज्यादा गहरा नहीं दिखता है। क्या वारहेड हवा में फट गया? भारत की सुपरसोनिक मिसाइल फट सकती थी और दीवारों से होकर गुजर सकती थी, अगर मियां चन्नू का गोदाम टारगेट नहीं होता तो मिसाइल इतनी बड़ी तबाही मचा सकती थी? मिसाइल ने पूर्व-निर्धारित लक्ष्य को मारा है? ये अपने में बड़े सवाल है।
सर्जिकल और एयर स्ट्राइक ने दिखाया कि नई दिल्ली की मौजूदा हालातों में आक्रामक सैन्य रूख़ अख़्तियार किये हुए है। मिसाइल पास के सिविलियन टारगेट से चूक गई और एकमात्र ‘बिना रूकावच’ वाली इमारत को निशाना बनाया। ऐसे में दोनों ओर से किये जा रहे दावे काफी कुछ साफ कर देते है। इस घटना से नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच कई सैन्य तथ्य साफ हो जाते है।