एजेंसियां/न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): वाशिंगटन और बीजिंग (Washington and Beijing) के बीच कोरोना महामारी की उत्पत्ति और परमाणु हथियारों की होड़ को लेकर तनातनी काफी बढ़ गयी है। इन्हीं मुद्दों को लेकर अब दोनों मुल्क शांति की पहल करने जा रहे है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि शी के साथ सीधा जुड़ाव संबंधों को संघर्ष की ओर बढ़ने से रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका है।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी (White House Press Secretary Jen Psaki) ने हाल ही में दिये अपने बयान में कहा कि, “दोनों नेता जिम्मेदारी के साथ तनाव और होड़ का कम करने की कोशिशों और तरीकों पर चर्चा करेंगे … साथ ही साथ मिलकर काम करने के तरीकों पर भी बातचीत होगी। राष्ट्रपति बिडेन (President Joe Biden) अमेरिका के इरादों और प्राथमिकताओं को साफ करेंगे और हमारी चिंताओं के बारे में भी चीनी नेतृत्व को स्पष्ट करेगें।
दूसरी ओर बीजिंग भी टकराव से बचने के लिये काफी बेसब्र दिख रहा है क्योंकि शी के सामने शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympics) खेलों की मेजबानी की बड़ी जिम्मेदारी है। जिसे लेकर वो काफी संवेदनशील दिख रहे है। वो चाहते है कि शीतकालीन ओलंपिक समेत उनका तीसरा कार्यकाल पूरी तरह सुरक्षित हो।
चीन के विदेश मंत्रालय ने आज (13 नवंबर 2021) कहा कि शी जिनपिंग (Xi Jinping) शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय संबंधों और सामान्य हितों के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे, जो मंगलवार (16 नवंबर 2021) सुबह एशिया में होगा। इस मुद्दे पर एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि बिडेन साफ करेंगे कि वो चीन के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं, लेकिन संघर्ष नहीं चाहते हैं। इस दौरान तय किया जायेगा कि शीर्ष-स्तरीय बैठकों के मुद्दे को सीमित रखा जायेगा। इसलिये एजेंडा लिस्ट (Agenda List) काफी छोटी ही होगी।
अमेरिकी अधिकारी आगे ने कहा कि- हम चीन से संयमित और नियमों में बंधी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद करते है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना प्रतिस्पर्धा के नियमों को मानेगा इसका मुद्दा भी वार्ता के दौरान उठाया जा सकता है।
दूसरी ओर आगामी सोमवार (15 नवंबर 2021) को एक बड़े फंक्शन में बिडेन $ 1 ट्रिलियन के बुनियादी ढांचे के विकास के सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद ये कथित बैठक होगी। चीन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Former President Donald Trump) कार्यकाल में लगाये गये सैकड़ों अरबों डॉलर के टैरिफ से राहत लेने के लिये जोर डाल सकता है। जिसके लिये बीजिंग मुद्रास्फीति को कम करने और रोजगार को बढ़ावा देने जैसे तर्क दे सकता है। माना जा रहा है कि इस कवायद से दोनों पक्षों को मदद मिल सकती है।