न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज (23 मार्च 2022) दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव स्थगित करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा और कहा कि अगर समय पर निकाय चुनाव होते हैं तो आम आदमी पार्टी (AAP) राजनीति छोड़ देगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार (22 मार्च 2022) को “दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022” को मंजूरी दी, जो कि दिल्ली में तीन नगर निगमों के एकीकरण को प्रस्तावित करता है।
उन्होंने कहा कि, ”केंद्र की भाजपा सरकार जिस तरह से एमसीडी चुनाव स्थगित करने के लिये राज्य चुनाव आयोग पर दबाव बना रही है, वो शहीदों और लोकतंत्र का अपमान है। दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) के बाहर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए केजरीवाल ने कहा कि- भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, एक छोटी पार्टी (आप) की वज़ह एक छोटा चुनाव वक़्त कराने से डरती है। चुनाव हारने के डर से वो लगातार चुनाव को स्थगित कराने वाली कवायदों पर जोर दे रहे है।
उन्होंने आगे कहा कि, “अगर भाजपा एमसीडी में सत्ता खोने के डर से चुनाव स्थगित करती है तो ये लोगों की आवाज को दबाने जैसा है। मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि एमसीडी चुनाव समय पर कराये। अगर एमसीडी चुनाव समय पर हुए तो हम (आप) राजनीति छोड़ देंगे। भाजपा एमसीडी चुनाव स्थगित कर रही है क्योंकि दिल्ली के तीनों निगमों का विलय हो रहा है। क्या इस वजह से चुनाव स्थगित किये जा सकते हैं? कल अगर भाजपा को होश आया कि पार्टी गुजरात हार सकती है, तो क्या वो चुनाव टालने के लिये गुजरात और महाराष्ट्र (Gujarat and Maharashtra) को मिला सकते हैं? ऐसा बहाना बनाकर लोकसभा चुनाव टाले जा सकते हैं?”
तीन नगर निकायों के विलय का विधेयक संसद के चालू बजट सत्र में आने की उम्मीद है। बता दे कि 2011 में दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम, 1911 (दिल्ली अधिनियम, 2011 का 12) के तहत पहले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को तीन नगर निगमों में बांटा गया था, जिसमें दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी), उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) शामिल हैं।
इससे पहले राज्य चुनाव आयुक्त एसके श्रीवास्तव (State Election Commissioner SK Srivastava) ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कुछ मुद्दों को उठाये जाने के बाद केंद्र ने एमसीडी चुनाव के लिये मतदान की तारीखों की घोषणा को टाल दी गयी है, जिनकी चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा कानूनी रूप से जांच की जानी बाकी है।