न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Election) को लेकर भाजपाई खेमे ने आक्रामक रणनीति अख़्तियार कर ली है। इसकी कमान खुद गृहमंत्री अमित शाह ने थाम रखी है। दिलीप घोष और कैलाश विजयवर्गीय की कड़ी सियासी घेरेबंदी (Political siege) ने तृणमूल खेमे में भारी बेचैनी और खलबली मचा रखी है। टीएमसी की ओर से रणनीतिक कमान प्रशांत किशोर और अभिषेक बनर्जी में थाम रखी है। जिसका उसे फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है। इन दोनों के कारण ही टीएमसी फूट के कगार पर पहुँच चुकी है।
इस बात का अन्दाज़ा प्रशांत किशोर को भली-भांति हो चुका है। इसी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होनें कहा कि- अमित शाह की कवायद से भाजपा को बंगाल कुछ खास फायदा नहीं मिलने वाला है। उनके बंगाल दौरे को लेकर जो हवा बनाई गयी है, उसे मीडिया द्वारा गढ़ा गया है। विधानसभा के चुनावी नतीज़ों में भाजपा का खाता दहाई अंक तक भी नहीं पहुँच सकेगा। इसी मसले पर उन्होनें ट्विट कर लिखा कि- भाजपा समर्थित मीडिया समूह (BJP-backed media group) अमित शाह का बंगाल दौरा काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे है। नतीज़ों में भाजपा दहाई के अंक तक भी नहीं पहुँच सकेगी। मेरे इस ट्विट को सहेज कर रख लीजिए। अगर भाजपा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो, मैं अपनी जगह छोड़ दूंगा।
दीदी का किला भेदने के लिए भाजपायी खेमा टीएमसी की आंतरिक कलह (Internal strife) का जमकर फायदा उठा रहा है। जिसके कारण टीएमसी के कई दिग्गज़ चेहरे बीजेपी का दामना थाम रहे है। टीएमसी नेताओं का मानना है कि पार्टी में उनकी लगातार अनदेखी हो रही है। अहम फैसले लेने में आलाकमान उन्हें दरकिनार कर रही है। प्रशांत किशोर और अभिषेक बनर्जी की बातों को आंखें बंद करके शीर्ष नेतृत्व लागू कर रहा है। ममता बनर्जी का सारा जोर राजनीतिक विरासत (Political legacy) भतीज़े के हाथों में सौंपने पर लगा हुआ है।
फिलहाल सूबे में भाजपा काफी आत्मविश्वास में भरी हुई लग रही है। पार्टी के कई आला नेता 294 में से 200 सीटों पर जीत दर्ज करने की बात कह चुके है। टीएमसी के आंतरिक कलह का फायदा उठाने के अलावा भाजपायी खेमा बंगाली अस्मिता, राजनीतिक हिंसा, बांग्लादेशी घुसपैठ, अवैध लेवी (Illegal levy) और भष्ट्राचार को मुद्दा बनाकर भुनाने की कवायद में है।