Article 370 और 35-A हटने के बाद घाटी के हालात क्या होगें। उसकी एक छोटी-सी झलक
1. कलियुगे कलिप्रथम चरणे, शीत ऋतो,कार्तिक मासे,शुक्ल लग्ने शुभ मुहूर्ते,जम्बूद्वीपे भरतवर्षे भरतखण्डे, आर्यावर्तेक देशान्तर्गते डल झीले समीप लॉउडस्पीकर पर “काँच ही बांस के बहंगिया बहँगी लचकत जाये” बज रहा है। महिलायें माथे पर लंबा-सा सिन्धूर लगाये डल झील में खड़ी होकर सूर्य नारायण को अर्घ्य दे रही है। छठ पूजा की चहल-पहल फिज़ाओं में बिखरी है। झील किनारे बड़ा-सा शामियाना लगा है, सभी के लिए भण्ड़ारा प्रसादी की व्यवस्था है।
पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्य़कर्ता लाइन में खड़े होकर ठेकुआ प्रसाद का मज़ा ले रहे है। कुपवाड़ा में मनोज तिवारी और मालिनी अवस्थी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुति दे रहे है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंजीनियर रशीद है। चंदन का तिलक लगाकर और माला पहनाकर उनका स्वागत किया जाता है। जैसे ही मंच पर सपना चौधरी नृत्य प्रस्तुति देती है, सभी बुर्जुग अलगाववादियों की रगों में वियाग्रा दौड़ जाता है।
2. जम्मू कश्मीर के लोगों की प्रिय डिश लिट्टी चोखा बनती जा रही है। घाटी के हर कोने में लिट्टी चोखा और झालमूड़ी की रेहड़ी साफ देखी जा सकती है। महबूबा मुफ्ती के घर सामने से बहिरू मुखिया के लड़के बारात निकल रही है। टाटा-407 पर रखे हुए बड़े-से डीजे पर कानफोड़ू गाना बज रहा है। गाने के बोल कुछ इस तरह से है “तू लगावेलू जब लिपिस्टिक हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट जिला टॉप लागेलू” ये समां देखकर महबूबा की आंखे झलक जाती है। दांत पीसते हुए,आँख तरेरते हुए बीपी वाली गोली का सेवन करती है।
3. घाटी के युवा अब पत्थरबाज़ी छोड़कर बुद्ध के मार्ग पर निकल जाते है। अब उनके आदर्श अफजल गुरू, बुरहान वानी, मीरवाइज उमर फारूख, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी,शब्बीर शाह और सैयद अली शाह गिलानी नहीं रह गये। उनकी जगह दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, रविकिशन, खेसारी लाल यादव और पवन सिंह ने ले ली है। घाटी के युवक अब आम्रपाली दुबे के ठुमकों में खासा दिलचस्पी लेते है। शोपियां में चौरसिया जी की गुमटी से सुर्ती, दोहला और पंलगतोड़ 56 नंबरी पान की सप्लाई गिलगित ब्लूचिस्तान और पीओके में दबाकर हो रही है। अभी हाल में ही उनके पास खैबर-पख़्तूनख़्वा सेविमल पान मसाले का बड़ा ऑर्डर आया है।
4. फैजाबाद वाले यादव जी ने उमर अब्दुल्ला के घर के बगल में 25 गज के प्लाट पर मकान बनवाया है। आज उनका गृह प्रवेश है साथ ही सत्यनारायण स्वामी की कथा भी होने वाली है। जिसके लिए उमर अब्दुल्ला को भी न्यौता मिला है। कथा सुनने के बाद कटोरी में पंजीरी का प्रसाद और गिलास में चरणामृत लिये हुए अब्दुल्ला जी वापस अपने घर लौट रहे है। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रन्ट के कार्यकर्ताओं ने कलाशनिकोव छोड़, संघ को पकड़ लिया है।
बारामूला, बांदीपोरा, अनंतनाग और पुंछ इलाके के बच्चे भोजपुरी और मगही अच्छे से सीख गये है। और पाकिस्तानियों के लिए सरऊ और लंठ शब्द का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे है। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर की लड़कियां कॉलेज बंक करके “कब होई गवना हमार” नामक फिल्म देखने जा रही है। दूसरी ओर शबनम लोन हालीम,बिरयानी, कबाब, चंगेजी छोड़कर चूरा दही खा रही है।