जब दुल्हन ने मंडप में दूल्हे को बांधा Mangalsutra

न्यूज डेस्क (यामिनी गजपति): शार्दुल कदम और तनुजा ने अपनी शादी में कुछ ऐसा किया कि सदियों पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं को तोड़ दिया। कुछ ही वक़्त में ये कपल ट्रोल्स के निशाने पर भी आ गया। शार्दुल ने पितृसत्तात्मक व्यवस्था (Patriarchal system) को तोड़ने की हिम्मत की थी। ऐसे में ये कोई बड़ी बात नहीं की, उसे लोगों के तानों का खामियाजा भुगतना पड़ा। शादी वाले दिन फेरों के बाद तनुजा और शार्दुल ने एक दूसरे के गले में मंगलसूत्र (Mangalsutra) बांधा। ह्यूमन ऑफ बॉम्बे से बात करते हुए शार्दुल ने शादी का दिन याद किया और कहा “मैं बहुत खुश था,” साथ ही उन्होनें बताया कि आखिर मंगलसूत्र पहनने का फैसला उन्होनें क्यों किया।

जब दोनों की कहानी एक दिन बाद डिजिटल मीडिया पर छायी तो, दोनों को सोशल मीडिया पर ‘भयानक प्रतिक्रिया’ का सामना करना पड़ा। हालाँकि दूसरी ओर शार्दुल और तनुजा की कहानी इंटरनेट पर कई लोग ज़मकर सराहा रहे है। उनकी कहानी के इंस्टाग्राम पर 82,000 से ज़्यादा लाइक्स और फेसबुक पर कुछ इसी तरह का रिस्पॉन्स मिला। शार्दुल और तनुजा का इश़्क कॉलेज के बाद परवान चढ़ा। कॉलेज में दोनों की सिर्फ मुलाकात ही हुई थी। ग्रेजुएशन पास आउट करने के करीब चार साल बाद दोनों एक दूसरे को चाहने लगे। शार्दुल ने कहा हम एक दूसरे से बेहद अनएक्सपेक्टिड तरीके से जुड़े। तनुजा उन्हें इंस्टाग्राम पर हिमेश रेशमिया शेयर करके टॉर्चर करती थी।

जब दोनों कुछ हफ्तों के बाद चाय पर मिले तो शार्दुल तनुजा के सामने नारीवाद (Feminism) पर बातें करने लगे। टी डेट के दौरान शार्दुल ने खुद को ‘कट्टर नारीवादी’ बताया। शार्दुल और तनुजा ने करीब एक साल के रिलेशनशिप के बाद अपने रिश्तों के बारें में पैरेन्ट्स को बताया। सितंबर 2020 में अपनी शादी को लेकर दोनों की काफी एक्साइटिड थे। दोनों ही शादी की तैयारियों में जुटे हुये थे। उस दौरान शार्दुल ने सवाल किया कि, ऐसा क्यों है कि सिर्फ लड़की को ही मंगलसूत्र पहनना पड़ता है? उन्होंने ऐलान किया कि वो भी अपनी शादी के दिन मंगलसूत्र पहनेंगे।

शार्दुल के माता-पिता उनके ऐलान से काफी हैरान थे। साथ ही रिश्तेदारों ने भी उनके फैसले पर सवाल उठाया। शार्दुल पूरी तरह मन बना चुके थे। वो किसी की बातों में आने के लिये तैयार नहीं थे। उन्होनें कहा कि उनके लिए मंगलसूत्र पहनना समानता का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे ही उनकी ये कहानी सोशल मीडिया पर आयी तो लोगों ने उन्हें बुरी तरह ट्रोल करना शुरू कर दिया। और कहा कि  ‘अब एक साड़ी भी पहनें’, ‘क्या आप महीने में एक बार महावारी के दौरान खून बहाते हैं?” जैसे कमेंट करने शुरू कर दिये। इस पर शार्दुल ने कहा कि उदारवादियों ने भी मुझे ट्रोल करना शुरू कर दिया, ये लिंग समानता का समर्थन करने का तरीका नहीं है।

शार्दुल के मुताबिक उन्हें उम्मीद थी कि कुछ ट्रोलर्स उनके परेशान जरूर करेगें। शुरू में उनकी पत्नी पर भी इसक असर पड़ा, लेकिन अब चार महीने हो गये हैं और ट्रोलर्स अब शांत है।

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