‘One China Policy’ के मुद्दे पर आखिर कहां खड़ा है भारत?

इस हफ्ते ताइवान और चीन (Taiwan and China) के बीच तनाव काफी बढ़ गया, जब यूनाइटेड स्टेट्स हाउस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) ने ऐलान किया कि वो ताइवान के लिये “अपना समर्थन दिखाने” के लिये द्वीप राष्ट्र की राजधानी ताइपे का दौरा करेंगी, चीन को इस कदम से खतरा महसूस हो रहा है।

पेलोसी के दौरे के बाद चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर ‘वन चाइना’ पॉलिसी (‘One China Policy’) पर पीछे हटने का आरोप लगाया और ताकत और धमकी के साथ बड़े पैमाने पर चौतरफा सैन्य युद्धाभ्यास शुरू किया। पीएलए (PLA) ने फाइटर जेट्स विमानों को ताइवान के हवाई इलाके में लॉन्च किया और बीजिंग (Beijing) ने अपनी सीमाओं पर मुस्तैदी को चाकचौबंद किया।

अब बीजिंग ने ताइवान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को खत्म कर “संयुक्त राज्य अमेरिका के नक्शेकदम पर चलने” के बजाय भारत को वन चाइना नीति पर टिके रहने के लिये कहा। बता दे कि नई दिल्ली ताइवान को चीन के एक हिस्से के बजाय स्व-स्वामित्व वाले द्वीप राष्ट्र के तौर पर मान्यता नहीं देता है।

नई दिल्ली (New Delhi) में चीनी दूतावास (Chinese Embassy) ने भारत के लिये एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि, “भारत उन पहले देशों में से एक है, जिन्होंने ये माना है कि सिर्फ एक चीन है। चीनी पक्ष ‘एक-चीन’ सिद्धांत के आधार पर हमारे संबंधों के विकास को आगे बढ़ाने के लिये तैयार है।”

बीजिंग की ‘वन चाइना’ पॉलिसी के मुताबिक, देश के अधिकारी मानते हैं कि सिर्फ एक चीनी सरकार है। इसके तहत चीनी सरकार का कहना है कि ताइवान उनके मुल्क का एक हिस्सा है, और जल्द ही वो मुख्य चीनी भूमि के साथ फिर से जुड़ने के लिये तैयार है।

इस बीच ताइवान ने खुद को स्वशासित, संप्रुभत्वपूर्ण अक्षुण्ण राष्ट्र घोषित कर दिया है, जो चीन की सरकार को अपना नहीं मानता। वन चाइना नीति ताइवान (या चीन गणराज्य) के अस्तित्व को मान्यता नहीं देती है, जो गृह युद्ध के बाद कम्युनिस्टों से हार गया था।

बीजिंग ने कहा कि भारत (India) एक चीन नीति को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसका मतलब है कि वो सिर्फ चीनी सरकार के साथ राजनयिक संबंध बनाये रखेगा और ताइवान जैसे विवादित इलाकों को अपना समर्थन नहीं दे सकता है।

भारत दुनिया के ज़्यादातर देशों की तरह 1949 से वन चाइना नीति का पालन कर रहा है। हालांकि भारत का द्वीप राष्ट्र में भारत-ताइपे संघ (Indo-Taipei Federation) है, फिर भी ताइवान और भारत के बीच अभी तक कोई औपचारिक संबंध नहीं हैं।

जब यूएस हाउस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान में उतरीं तो चीनी सरकार अमेरिका द्वारा वन चाइना पॉलिसी के उल्लंघन पर बेहद नाराज हो गयी, जो कि ताइवान को एक बार फिर से अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा बनाने की उसकी कोशिशों को रोक सकता है।

यूएस हाउस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने मिशन के साथ ताइवान का दौरा करने का फैसला किया – स्व-शासित राष्ट्र के लिये अमेरिकी समर्थन बढ़ाने के लिये, जो कि चीन के साथ अपनी समुद्री सीमा साझा करता है। पेलोसी ने कहा कि उनका दौरा ऐसे वक़्त में हो रहा है, जब दुनिया लगातार निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है।

संस्थापक संपादक : अनुज गुप्ता

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