बिजनेस डेस्क (राजकुमार): Crude Oil: वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, केंद्र सरकार ने आज (4 अप्रैल 2023) से घरेलू कच्चे तेल पर विंडफॉल गेन टैक्स (Windfall gain tax on domestic crude oil) को 3,500 रुपये प्रति टन से घटाकर शून्य कर दिया है, जबकि डीजल निर्यात पर शुल्क को घटाकर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया है। एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF- Aviation Turbine Fuel) और पेट्रोल के निर्यात पर शुल्क शून्य बना हुआ है। बता दे कि 1 जुलाई 2022 के बाद से ये 18वाँ पाक्षिक शुल्क संशोधन है। उस दौरान घरेलू कच्चे तेल पर टैक्स लगभग 40 डॉलर प्रति बैरल था।
घरेलू क्रूड पर शुल्क में कमी को पिछले पखवाड़े में वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से जोड़कर देखा जा रहा है। घरेलू कच्चे तेल पर टैक्स की ये पहली मिसाल है, जो कि खासतौर से अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के रूप में है, जिसे घटाकर जीरो किया जा रहा है। ये कटौती तेल और प्राकृतिक गैस निगम और इंडियन ऑयल (Oil and Natural Gas Corporation and Indian Oil) जैसी अपस्ट्रीम तेल कंपनियों के लिये काफी पॉजिटिव है। डीजल निर्यात पर कर में कटौती रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी (Reliance Industries and Nayara Energy) जैसे प्रमुख ईंधन निर्यातकों के लिये भी सकारात्मक है।
तकनीकी तौर पर शुल्क को शून्य करने का मतलब ये नहीं है कि शुल्क को खत्म कर दिया गया है या समाप्त कर दिया गया है। इन शुल्कों के लिये प्रावधान अभी भी बना हुआ है और अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों और ईंधन मार्जिन में इजाफा होता है तो सरकार अप्रत्याशित करों में बढ़ोत्तरी कर सकती है। असल में एटीएफ निर्यात पर शुल्क को दो मौकों 3 अगस्त और 2 अक्टूबर, 2022 को घटाकर शून्य कर दिया गया था। लेकिन बाद के संशोधनों में शुल्क बढ़ा दिया गया था। अगर पिछले कुछ दिनों में तेल की कीमतों में इज़ाफा पखवाड़े के दौरान बना रहता है तो घरेलू कच्चे तेल पर शुल्क को अगले संशोधन में बढ़ाये जाने की पुख्ता संभावना है।
विंडफॉल गेन टैक्स सरकार की ओर से तेल उत्पादकों और ईंधन निर्यातकों के सुपर नॉर्मल प्रॉफिट पर टैक्स लगाने के लिये लगाया गया था। शुल्क जो कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तहत उपकर के तौर पर हैं, को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन पर मार्जिन में उतार-चढ़ाव और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों की बुनियाद पर हर पखवाड़े में एक बार संशोधित किया जाता है।
ये शुल्क पहली बार 1 जुलाई 2022 को यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वैश्विक तेल और ईंधन की कीमतों में इज़ाफे की वज़ह से लगाये गये थे। चूंकि देश में उत्पादित कच्चे तेल की कीमत अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के लिये बेंचमार्क है, इसलिए घरेलू तेल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। उस समय ईंधन पर मार्जिन अन्य बाजारों में बहुत ज्यादा था, जो कि रिफाइनर खासतौर से निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को ईंधन निर्यात करने के लिये प्रोत्साहित करता था। नतीज़न देश के कुछ हिस्सों में ईंधन आपूर्ति बाधित हुई थी।
घरेलू पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर शुल्क कटौती के झटके को आंशिक रूप से कम करने के लिये तेल उत्पादकों और ईंधन निर्यातकों के अप्रत्याशित लाभ का हिस्सा लेने के अलावा सरकार इन टैक्सों के जरिये घरेलू मांग को पूरा करने के लिये पर्याप्त ईंधन आपूर्ति भी सुनिश्चित करना चाहती थी। शुरूआत में पेट्रोल निर्यात (Petrol Export) पर भी लेवी लगायी गई थी, लेकिन 20 जुलाई, 2022 से प्रभावी पहले दर संशोधन में शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया था। एटीएफ निर्यात के मामले में मार्च की शुरुआत में टैक्स को घटाकर जीरो कर दिया गया था।