न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): प्रस्तावित चार मंजिला नया संसद भवन (New Parliament Building) 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला होगा। 971 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ इस परिसर का निर्माण किया जायेगा। इस परिसर में संयुक्त सत्र के दौरान 1,224 सदस्यों के बैठने कि व्यवस्था होगी साथ ही लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के लिए बैठने की क्षमता होगी तो राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी। भारत की गौरवशाली विरासत को नए संसद भवन में भी जगह मिलेगी।
नई संसद भवन ‘आत्मानिभर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) की दृष्टि का एक आंतरिक हिस्सा होगा क्योंकि देश भर के कारीगर और मूर्तिकार नए भवन में भारत की सांस्कृतिक विविधता का योगदान और प्रदर्शन करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नए संसद भवन का शिलान्यास कर रहे है, जिसमें लोकसभा कक्ष अपने मौजूदा आकार का तीन गुना होगा और राज्यसभा कक्ष भी काफ़ी बड़ा होगा।
भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस (India’s 75th Independence Day) के उपलक्ष्य में नई इमारत अक्टूबर 2022 तक आने की संभावना है।
न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग का प्रस्ताव भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, एम. वेंकैया नायडू (M.Venkaiah Naidu) और लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिरला (Lok Sabha Speaker, Om Birla) ने क्रमशः 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा और लोकसभा में पेश किया था।
लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिड़ला ने ट्वीट करके जानकारी दी कि “नए भवन के निर्माण के बाद भी, पुरानी इमारत का उपयोग जारी रहेगा। दोनों इमारतें एक दूसरे के पूरक के रूप में काम करेंगी। पूरे निर्माण कार्य में मौजूदा भवन की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जायेगा।”
मौजूदा संसद भवन, जो 93 वर्ष से अधिक पुराना है, में आधुनिक संचार, सुरक्षा और भूकंप सुरक्षा आवश्यकताओं के संबंध में कई रुकावटें हैं। भवन को पुनः निर्मित करने में भी बाधाएं हैं। नतीजतन, इसकी संरचना और दृश्य को नुकसान पहुंचाए बिना आवश्यक संशोधन नहीं किया जा सकता है।
न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है क्योंकि समय के साथ विधायी और संसदीय कार्यों की गहराई (complexity of legislative and parliamentary work), गुंजाइश और जटिलता कई गुना बढ़ गई है। कई सदस्यों ने वर्षों से आधुनिक और उच्च तकनीक सुविधाओं की आवश्यकता व्यक्त की है ताकि वे अपने घटकों की जरूरतों पर सार्थक ध्यान केंद्रित कर सकें और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को जल्द से जल्द पूरा कर सकें।
प्रसिद्ध संसद भवन का निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकारों, सर एडवर्ड लुटियन (Sir Edward Lutyens) और सर हर्बर्ट बेकर (Sir Herbert Baker) की देखरेख में किया गया था। संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट (Duke of Connaught) ने रखी थी। भवन का उद्घाटन समारोह 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन (Lord Irwin) ने किया था।
भवन के निर्माण में छह साल लगे और निर्माण की लागत 83 लाख रूपये थी। केंद्रीय विधान सभा की बैठक पहली बार संसद भवन में 19 जनवरी 1927 को हुई थी।
भवन कई ऐतिहासिक अवसरों का गवाह रहा है। भारतीय विधायिका की यात्रा (journey of the Indian legislature) यहां 1921 में केंद्रीय विधानसभा (Central Legislative Assembly) और राज्य परिषद (Council of State) की स्थापना के साथ शुरू हुई। ब्रिटेन से भारत को सत्ता का हस्तांतरण भी इसके के भीतर हुआ। संविधान सभा, जिसने भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया, संसद के सेंट्रल हॉल में हुई थी।
संसद के प्रत्येक सदस्य को पुनर्विकसित श्रम शक्ति भवन में 40 वर्ग मीटर का कार्यालय स्थान भी प्रदान किया जाएगा, जिसके निर्माण के लिए 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।