न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): गाजियाबाद में एक महिला ने निजी अस्पताल में आईवीएफ तकनीक (IVF Technique) की मदद से चार बच्चों (तीन लड़के और एक लड़की) को जन्म दिया। डॉ शशि अरोड़ा और डॉ सचिन दुबे की देखरेख में महिला का सफल ऑपरेशन किया गया। महिला की आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सर्जरी करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि मां और उसके चार बच्चे दोनों स्वस्थ हैं।
ये वाकया हाल ही में उत्तर प्रदेश के कानून आयोग द्वारा 'दो-बच्चा नीति' पर प्रस्ताव तैयार करने के बाद सामने आया। जो लोगों को दो से ज़्यादा बच्चे होने पर सरकारी लाभ (Government Benefits) प्राप्त करने से रोकता है। डॉ शशि अरोड़ा ने कहा कि दंपति कई सालों से बच्चा पैदा करने की उम्मीद कर रहे थे। महिला लंबे समय से गर्भधारण (Pregnancy) करने में नाकाम रही और उसका इलाज भी चल रहा था। दो साल चले इलाज के बाद उसने चार बच्चों को जन्म दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईवीएफ ट्रीटमेंट से चार बच्चों के जन्म की खबर से महिला और उसका परिवार बेहद खुश है।
पिछले कुछ सालों से देश में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का चलन बढ़ा है।
IVF Technique
दुनिया में पहली टेस्ट ट्यूब या आईवीएफ बेबी का जन्म 1978 में यूके में हुआ था, जिसका नाम लुईस ब्राउन रखा गया। लुईस ब्राउन के जन्म के ठीक 69 दिन बाद 3 अक्टूबर 1978 को दुनिया की दूसरी और भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ। कोलकाता की भारतीय वैज्ञानिक डॉ सुभाष मुखर्जी ने क्रायोप्रिजर्व्ड भ्रूण का इस्तेमाल करके आईवीएफ प्रक्रिया के बाद कनुप्रिया उर्फ दुर्गा के जन्म का ऐलान किया।
आईवीएफ उपचार में महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थितियों में मिलाया जाता है। जब भ्रूण संयोजन (Embryo Fusion) से बनता है तो इसे वापस महिला के गर्भाशय में रखा जाता है जिससे भ्रूण के गर्भाधान में मदद मिलती है। इससे उन महिलाओं को खासा मदद मिलती है जो कि किसी कारण से स्वाभाविक गर्भधारण करने में कठिनाइयों का सामना कर रही है।