
बेशक इस मुल्क की आव़ाम इन्हीं फर्जी सपनों की खुमरियों में खुश है और दूसरी तरफ मुल्क को लेकर भी परेशान है। जिस तरह से ये सियासी जोकें देश की चूस रही है। देश का आम नागरिक उसी हालत में जागता है, जब उसके खुद के परिवार में किसी का बलात्कार होता है या फिर आत्महत्या। क्या ये वहीं विकास है, जिसका ढोल कथित राजनेता पीटते है। जिसका दावा ये सियासी जोकें करती है। लोगों की भीड़ के बीच कोई सरकारी योजना का लाभ हासिल किये हुए कोई दिखा आपको ? जब तक हम खुद खड़े नहीं होगे, अपने हक़ की आव़ाज बुलन्द नहीं करेगें तब तक आने वाला कल स्याह काला होगा और इसकी सबसे ज़्यादा मार हमारी आने वाली नस्लों पर पड़ेगी। तो फैसला आपके ऊपर है सबकुछ जानते हुए सोते रहे या तबाह होने के लिए तैयार रहिये
– कैप्टन जी.एस. राठी
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता
– कैप्टन जी.एस. राठी
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता