हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): World AIDS Day 2022: पूरी दुनिया एचआईवी से जुड़ी गलतफहमियों से लड़ने और एचआईवी से संक्रमण झेल रहे लोगों का समर्थन करने के लिये 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाती है। ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (HIV) गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का मामला है। अलगाव, असमानता और मानवाधिकारों के प्रति अवमानना समेत कई कारणों से एचआईवी वैश्विक स्वास्थ्य महामारी बनी हुई है।
जब कोई एचआईवी संक्रमित शख़्स आखिरी स्टेज में पहुंच जाता है तो उसे एड्स कहते हैं। एचआईवी संक्रमण तब होता है जब वायरस की वज़ह से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है। संक्रमित लोगों से शरीर के विभिन्न तरल पदार्थों जैसे रक्त, स्तन के दूध, वीर्य और योनि स्राव (Semen And Vaginal Discharge) का आदान-प्रदान एचआईवी फैलने की बड़ी वजह है।
World AIDS Day 2022: जाने वर्ल्ड एड्स डे का इतिहास
विश्व एड्स दिवस की शुरूआत साल 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से की गयी। इसका मकसद लोगों के बीच इस संक्रमण से जुड़ी जानकारियां और जरूरी जागरूकता फैलाना है। उस दौरान ये अनुमान लगाया गया था कि दुनिया भर में 90,000 और 150,000 के बीच लोग एचआईवी पॉजिटिव (HIV Positive) थे, जो कि एड्स की ओर बढ़ रहे थे।
20 सालों के भीतर 33 मिलियन से ज्यादा लोगों को एचआईवी हुआ। 1981 के बाद से 25 मिलियन से ज्यादा लोग इस बीमारी से मर चुके हैं। नतीजन एचआईवी/एड्स के बारे में समाज को शिक्षित करने के लिये एड्स जागरूकता आंदोलनों की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा।
साल 1996 में WHO ने एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम UNAIDS को जानकारी फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी। UNAIDS ने 1997 में विश्व एड्स अभियान (WAC) की स्थापना की।
विश्व एड्स दिवस की अहमियत
35 मिलियन से ज्यादा लोगों ने एचआईवी से अपनी जान गंवायी है और विश्व स्तर पर लगभग 38 मिलियन लोग इस वायरस संक्रमण को झेल रहे है। वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद बीमारी के बारे में जागरूकता और उचित जानकारी की कमी के कारण एचआईवी वाले लोग अभी भी कलंक और भेदभाव के साथ जी रहे हैं। बीमारी से जुड़े पूर्वाग्रहों और गलतफहमियों को मिटाने के लिये लोगों के बीच एचआईवी या एड्स के बारे में ज्यादा जानकारी फैलाना अहम है।