लखनऊ (उत्तर प्रदेश): प्रदेश में हुए सीएए विरोधी दंगों (Anti-CAA riots) के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति (Government and private property) को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों (Protesters) से मुआवज़ा वसूलने (Compensation recovery) के लिए ट्रिब्यूनल (Tribunal) बनाने को फैसला लिया है। सूबे के अधिकारी फिलहाल इसकी रूपरेखा तैयार करने में जुटे हुए है। ट्रिब्यूनल गठन के मसौदे (Draft) के मुताबिक न्यायाधिकरण के लिए सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (Retired district judge) की नियुक्ति (Appointment) की जायेगी। मामले की सुनवाई करने के साथ ही नियुक्त किया गया न्यायधीश टिब्यूनल की अध्यक्षता भी करेगा। इसके साथ ही मुआवज़े के दावे पर न्यायाधिकरण द्वारा दिये गये निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इसके भी प्रावधान सुनिश्चित किये (Ensure provision) गये है। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल को अन्य कई न्यायिक शक्तियों (Judicial powers) से लैस किया जा रहा है। जिसके तहत न्यायाधिकरण को अभियुक्तों की संपत्ति जब़्त (Property seized) करने और अभियुक्तों की तस्वीर सार्वजनिक करने की भी छूट होगी। जिससे कि आम लोग अभियुक्तों (Accused) की संपत्ति खरीदने से बच सके। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष के पास क्षतिग्रस्त संपत्ति की मिल्कियत आंकने के लिए दावा आयुक्त (Claims commissioner) को तैनात करने की भी ताकत हासिल होगी।
गौरतलब है कि उपद्रवियों से पैसे वसूलने की तैयारी योगी सरकार ने बीते 19 दिसम्बर को ही शुरू कर दी थी। सीएए के खिल़ाफ सूबे में हुए प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाज़ी, आगजनी और तोड़-फोड़ करते हुए भारी पैमाने पर निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुँचाया था। अभियुक्तों की पहचान के लिए प्रदेश सरकार ने सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) में मदद ली थी। उसके बाद खास सॉफ्टवेयर (Special software) की मदद से वीडियों में दिखे प्रदर्शनकारियों के चेहरों की शिनाख़्त (Identification) की गयी।