नई दिल्ली (शौर्य यादव): वैदिक मान्यताओं, सनातन रीति रिव़ाज़ो और मंदिरों (Mandir) के खिलाफ ज़हर उगलने वाले ज़ाकिर नाईक ने एक बार फिर विवादस्पद बयान देते हुए इस्लामिक देशों में मंदिरों के तोड़े जाने का ज़ायज ठहराया है। हाल ही में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) इलाके में एक हिन्दू मंदिर से तोड़फोड़ हुई, जिसका समर्थन करते हुए जाकिर नाईक ने कहा- इस्लामिक देशों में मंदिर होने ही नहीं चाहिए। अगर मंदिर है तो तुरन्त ही जमींदोज कर देना चाहिए। ज़ाकिर नाईक के इस बयान की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की जा रही है।
इस्लामिक मान्यताओं (Islamic beliefs) का हवाला देते हुए उसने कहा कि, इस्लाम में बुतपरस्ती के साथ मूर्ति बनाना भी हराम है। पेंटिंग, ड्रॉइंग और किसी भी जीवित चीज की मूर्ति बनाना चाहे वो कीड़ा ही क्यों ना हो, इस्लाम में इन सब पर पाबंदी है। पैगंबर मोहम्मद साहब (Prophet Mohammad Sahab) ने खुद काबा में मूर्तियों को तोड़ा था। किसी भी इस्लामिक मुल्क में मूर्ति नहीं होनी चाहिए। अगर वो मूर्तियां कहीं भी हो तो, उन्हें तुरन्त ही हुकूमती फरमानों पर तुड़वा देना चाहिए।
गौरतलब है कि हाल ही में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में चरमपंथी गुट (Extremist groups) जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) ने इलाकों के धर्मान्ध मौलवियों और भीड़ के साथ मिलकर एक मंदिर को तोड़ दिया था। मंदिर कई दशकों पुराना था। साथ ही इसमें एक हिन्दू संत की समाधि भी थी। पुराना होने के नाते मंदिर काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। जिसके पुर्ननिर्माण के लिए स्थानीय हिन्दू समुदाय के लोगों ने संबंधित अधिकारियों से मंजूरी लेने के साथ सभी दस्तावेज़ी कार्रवाईयों (Documentary action) को पूरा किया था। बावजूद इसके मंदिर के पुराने ढांचे और हो रहे निर्माण को ध्वस्त कर दिया।
इस्लामिक उपदेशक भारत में भगौड़ा घोषित है। उसे मलेशिया ने शरण दे रखी है। इस्लामिक मान्यताओं को मौखिक यादकर उसे दूसरे धर्मों से जोड़ व्याख्यान देना उसकी खासियत रही है। इसके चलते दुनियाभर में उसके कई अनुयायी है। जिनसे उसे बेतहाशा फडिंग मिलती है। पिछले साल के दौरान इमरान खान सरकार ने इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने को लेकर प्रशासनिक मंजूरी दी थी। जिसकी ज़ाकिर नाईक (Islamic preacher Zakir Naik) ने खुलकर मुखालफत करते हुए कहा था कि, इस्लामिक देश में गैर इस्लामिक प्रार्थना घर बनाना या उसके बनाने में किसी तरह की मदद करना हराम है।