शंघाई में चीन की जीरो कोविड-19 (Covid-19) नीति को लेकर सोमवार (29 नवंबर 2022) को जारी विरोध प्रदर्शन के बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारी और पुलिस आपस में भिड़ गये। शिनजियांग (Xinjiang) के उरुमची (Urumachi) में नये प्रतिबंधों की वजह से 10 लोगों की मौत हो गयी है। लेकिन चीन (China) कड़े विरोध के बावजूद इन पाबंदियों को सख्ती से क्यों लागू कर रहा है? इसके पीछे चार बड़ी सियासी वज़हें हैं।
पहला चीन कोविड के मामलों को काबू करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ये नीति पूरी तरह नाकाम रही है। दूसरी वज़ह जिनपिंग के बढ़ते कद के कारण अधिकारियों ने उनकी चापलूसी करने की रवायत शुरू की है। दरअसल शी जिनपिंग के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिये अधिकारी कोविड नीति के नियमों को सख्ती से लागू करते रहे हैं।
तीसरा वजह इस नीति को सफल बनाकर जिनपिंग को ताकतवर कद्दावर नेता के तौर पर पेश किया जाना तय किया गया है। इस नीति को जिनपिंग के विजन के तौर पर पेश किया गया है। इसलिये चीनी सत्ता प्रतिष्ठान जबरदस्ती इसे कामयाब बनाना चाहते है।
चौथा कारण है- इस नीति को सख्ती से लागू कर ये दिखाने की कोशिश की जा रहा है कि जिनपिंग अभी भी मजबूत राजनेता हैं। ये वो चार कारण हैं, जिसके चलते कड़े विरोध के बावजूद जीरो कोविड पॉलिसी को रद्द नहीं किया जा रहा है।
यही वजह है कि आज चीन में छोटे-छोटे विरोध प्रदर्शन जिनपिंग के खिलाफ बगावत की आग की तरह फैल गये हैं। ये विरोध अब न सिर्फ जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ हो गया है, बल्कि चीन के राष्ट्रपति के खिलाफ भी हो गया है।
दरअसल शी जिनपिंग हू जिंताओ (Hu Jintao) को बाहर का रास्ता दिखाकर तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। चीन में राष्ट्रपति सिर्फ दो बार ही इस पद पर काब़िज हो सकते है, लेकिन 2012 से शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने इन नियमों में काफी बदलाव किये। संविधान में संशोधन के बाद अब वो तीसरी बार राष्ट्रपति बन सकते हैं। माओत्से तुंग (Mao Zedong) के बाद पहली बार कोई शख्स तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बनेगा।
अब माना जा रहा है कि माओत्से तुंग की तरह शी जिनपिंग भी आजीवन चीन के राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट (Communist) पार्टी के महासचिव बने रहेंगे। इसी वजह से ये विरोध जिनपिंग की राजनीतिक घेराबंदी भी है, माना ये भी जा रहा है कि इन विरोध प्रदर्शनों से शी जिनपिंग की अगुवाई को लेकर पैदा हुआ तिलिस्म भी टूटेगा।