न्यूज़ डेस्क (श्रेयसी श्रीधरा): दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) और लद्दाख से लगी सीमा पर तनातनी के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) ने पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है। उन्होंने कहा- देश की अखंडता और संप्रभुता बनाए रखने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army) युद्ध के लिए तैयार रहें। सभी सैनिक और मिलिट्री ऑपरेशंस इकाइयां (Military operations units) गहन युद्धाभ्यास शुरू कर दें। चीनी राष्ट्रपति का ये बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब बीजिंग के रिश्ते अमेरिका, ताइवान, हांगकांग और भारत से चरम तनाव पर हैं। चीनी हुक्मरान जोर जबरदस्ती कर ताइवान में अपना अधिपत्य स्थापित करना चाह रहे हैं। दूसरी और हांगकांग में चीन लोकतंत्र समर्थकों (Democracy supporters) को बुरी तरह रौंद रहा है। जिसके लिए बीजिंग की ओर से नया कानून पारित किया गया है। भारत से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर चीन जानबूझकर रणनीतिक और सामरिक दबाव (Strategic and tactical pressures) बना रहा है। अमेरिका इन सभी बातों के खिलाफ आक्रामक रुख़ (Aggressive attitude) अख्तियार कर रहा है।
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चीनी राष्ट्रपति की इस घोषणा के बाद नई दिल्ली में भी उथल-पुथल का माहौल देखा गया। लद्दाख सीमा पर चल रहे चीनी गतिरोध (Chinese deadlock) के बीच पीएम मोदी (PM Modi) ने उपजे हालातों के मद्देनजर हाई लेवल मीटिंग कर हालातों का जायजा लिया। बैठक में पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुख और सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) भी शामिल थे। इस दौरान लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर ने प्रधानमंत्री मोदी को ज़मीनी हालातों से अवगत कराया। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh) ने सुरक्षा हालातों के मद्देनजर चीन से लगी सीमा पर चल रही परियोजनाओं को जारी रखने की बात कही।
जंग के लिए चीन अमेरिका को लगातार उकसा रहा है। जिसके लिए चीन ने जानबूझकर ताइवान की जलसीमा (Taiwan water border) में दो जंगी बेड़े तैनात कर प्राटास द्वीप के पास कड़ा युद्धाभ्यास किया। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने 33 कंपनियों पर पाबंदी लगाई। जिसके बाद बीजिंग ने ताइवान की ओर, 2 युद्धक नौसैनिक बेड़ों (Battle naval fleet) को रवाना किया। हाल ही में चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग (Chinese Prime Minister Li Keqiang) ने ताइवान को बीजिंग में मिलाने की मंशा जाहिर की थी। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (Council on Foreign Relations) की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले डेढ़ सालों के दौरान चीन और अमेरिका के बीच युद्ध के आसार (Chance of war) कभी भी बन सकते हैं।